अखिलेश और ओवैसी की जनसभाएं तय करेंगी डुमरियागंज सीट की राजनीतिक दिशा

February 25, 2022 3:05 PM0 commentsViews: 643
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बसपा और भाजपा से लड़ रहे प्रत्याशी भी रख रहे अखिलेश यादव व बैरिस्टर ओवैसी की जनसभाओं पर गहरी नजर

 

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। कल सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव व परसों से AIMIM सद्र बैरिस्टर ओवैसी की होने वाली तीन जनसभाएं डुमरियागंज के चुनाव की दिशा तय कर सकती है। दोनों नेताओं के दौरों से दोनों ही दलों के प्रत्याशी जहा उत्साहित हैं, वहीं अन्य प्रमुख दलों के प्रत्याशी भी उन नेताओं के दौरे पर गहराई से नजर रख रहे हैं।कई विपक्षी प्रत्याशियों का मानना है कि दोनों नेताओं के दौरे के बाद समीकरण आये परिवर्तन उनके हक में भी जा सकते हैं।

क्या करेंगे अखिलेश यादव?

याद रहे कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 26 तरीख को इटवा बाजार में आ रहे हैं। हालांकि यह दूसरी विधानसभा सीट है लेकिन डुमरियागंज से सटा हुआ है। लिहाजा वहां डुमरियागंज के लोग भी पहुंचते हैं । प्रत्याशी भी वहां अपने वोटर पहुंचाने के लिए पूरा संसााधन झांक देते हैं। इसके बाद डुमरियागंज विधानसभा क्षेत्र में AIMIM के चीफ असदुद्दीन औवैसी 27 फरवरी से 1 मार्च के दौरान तीन जनसभाएं करेंगे।

समीकरणों में बदलाव ओवैसी पर निर्भर

दरअसल अखिलेश का मकसद डुमरियागंज में 37 प्रतिशत मुसिलम वोटों को न बंटने देने की कोशिश रहेगी जिसके एक वर्ग पर पूर्व मंत्री कमाल यूसुफ के पुत्र और AIMIM उम्मीदवार दावा कर रहे हैं। अखिलेश यादव का सारा जोर डुमरियागंज के मुलिम समाज का रुख सपा के पक्ष में मोड़ने पर रहेगा। इसके विपरीत औवैसी अपनी तीन सभाओं के माध्यम से इरफान मलिक के प में मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण का पूरा प्रयास करेंगे।औवैसी की तीनों सभाओं पर सभी प्रत्याशियों के समीकरण बनने बिगड़ने की संभवना है।

जानकारों का मानना है कि अखिलेश की सभा के बाद मुस्लिम समाज की एकजुटता में शायद वृद्धि  हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अखिलेश यादव के मुकाबले समीकरणों का बनना बिगड़ना औवैसी के भाषणों पर कहीं ज्यादा निर्भर है।

विश्लेषक सत्येंद्र पी.एस. माने हैं कि यदि औवैसी का भाषण आशा के अनुरूप तार्किक और जोशीला रहा तो इसका लाभ इरफान मलिक को मिलेगा। लेकिन औवैसी ने अगर कोई खतरनाक भाषण दिया, जिसके जिए वे जाने जाते हैं तो जिता वोट वो इरफान मलिक का बढ़ाएंगे उसका दो गुना हिंदू वोटों को भाजपा के पक्ष में एकजुट करा देंगे। यह एक ऐसा खतरा है जिसे जानकार गहराई से महसूस कर रहे हैं।

फिलहाल संघर्ष का स्वरूप

फिलहाल डुमरियागंज में संघर्ष का स्वारूप बड़ा जटिल है। कहने को सपा की सैयदा खातून बसपा के अशोक तिवारी और भाजपा के राघवेन्द्र सिंह में मुख्य संघर्ष माना जा रहा है। मगर एमिम के इरफान मलिक की ताकत एवं कांती पांउेय काएक दम नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता। इरफान मलिक के वालिछ मलिक कमाल यूसुफ अनुभवी राजनिज्ञ हैं। अगर उनके दिशा निर्देश के मुताबिक ओवैसी ने केवल तार्किक भषण दिया तो सपा को करारा झटका लगने की आशंका से इंकर नहीं किया जा सकता।

 

 

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