आखिर किसने जलाया अलफारूक की पांच बसें और क्या था उसका मकसद?

July 28, 2020 2:04 PM0 commentsViews: 776
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नजीर मलिक

 सिद्धार्थनगर ।  इटवा स्थित अल फारूक इंटर कालेज परिसर में खड़ी पांच स्कूली बसों का जलना महज संयोग नहीं है, बल्कि इसे साजिशन जलाने के कई संकेत मिल रहे हैं। लेकिन उस साजिश की जड़ें कहां है इसे तलाशना पुलिस का काम है। फिलहाल पुलिस को इसकी जांच कर सच सामने लाना बेहद जरूरी हो गया है।

बताया जाता है कि लॉक डाउन की घोषणा के बाद से ही विद्यालय बंद चल रहा है। यहीं पर क्वारंटीन सेंटर व बाद में स्क्रीनिंग सेंटर बनाया गया था। इन दिनों विद्यालय पूरी तरह से बंद था। परिसर में आसपास कुल 18 स्कूली बसें खड़ी थीं।  रविवार की रात जब आग लगीं तो वहां कोई नहीं था। बस रखवाली के लिए चौकीदार ही था। उसी दौरान किसी ने बस में आग लगा दी। घटना में कुल पांच बसों का नुकसान हुआ। इनमें दो बसों का पहिया व सीट सब कुछ राख हो गया है, जब कि तीन बसें आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुई हैं। कुल दस लाख का नुकसान बताया जाता है।

विद्यालय प्रबंधक ने कहा

विद्यालय प्रबंधक मौलाना शब्बीर अहमद कहते हैं कि तीन दशक से विद्यालय चल रहा है, किसी से कोई विवाद नहीं था। पता नहीं क्यों किसी ने घटना को अंजाम दिया। जानकारी होने पर वरिष्ठ एसआई रामेश्वर यादव ने पुलिस टीम के साथ मौके पर जाकर मामले की जानकारी ली।विद्यालय के कोषाध्यक्ष मो. मुबारक ने थाने पर तहरीर देते हुए कहा कि जिस किसी उपद्रवी द्वारा घटना घटित की गई, उनको चिंहित करते हुए कड़ी कार्रवाई की जाए।

पुलिस असंवेदनशील क्यों?

इस घटना का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पक्ष सह है कि एक इंटर कालेज की पांच बसों को फूंक डालने का कोशिश की गई मगर पुलिस इसे गंभीरता से नहीं ले रही है। स्वयं थाने के प्रभारी निरीक्षक सत्येन्द्र कुंवर ने कहा कि पूरी घटना संज्ञान में नहीं है, विस्तृत जानकारी कर रहे है, फिर जो भी विधिक कार्रवाई होगी, की जाएगी। थानाध्यक्ष की इन बातों से अंदाजा लग सकता है कि वे घटना को लेकर कितने संवेदनशील हैं।

कौन लगा सकता है आग?

सवाल यह है कि इतना दुस्साहस भरा काम कौन कर सकता है। पुलिस अगर गंभीरता से जांच करे तो तीन प्रमुख कारण हा सकते हैं। पहला यह कि इंटर कालेज अथवा उसके प्रबंध समिति से किसी को कोई विशेष दुश्मनी हो। स्कूलों में ऐसे विवाद प्रायः होते रहते हैं। दूसरा कारण साम्प्रदायिक सोच भी संभव है। वर्तमान राजनीति में ऐसे तत्वों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। तीसरा कारण कालेजों की आपसी प्रतिद्धंदिता भी हो सकती है।

यहां विद्यालय और एक लेखपाल के बीच अतीत में चला विवाद भी ध्यान में रखना जरूरी है। इसके अलावा इस बात पर भी नजर रखी जानी चाहिये कि लाकडाउन में वेतन से परेशान खुद इंटरकालेज के किसी चालक या कर्मचारी ने तो यह कृत्य नहीं कर डाला? बहरहाल इतनी बड़ी घटना के बाद समाजसेवी, राजनीतिज्ञों की जमात जिस प्रकार खामोश है उससे चिंता बढ़ना स्वाभाविक ही है। इसके अलावा पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

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