खुलासाः बेसिक शिक्षामंत्री के भाई ने फर्जी आरक्षण सर्टीफिकेट बनवा कर असिस्टेंट प्रोफेसर पद हथियाया?

May 25, 2021 1:38 PM0 commentsViews: 1835
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रिटायर्ड आईएएस और मशहूर एक्टिविस्ट अमिताभ् ठाकुर व पत्नी नूतन ठाकुर ने किया खुलासा, कुलधिपति से की जांच की मांग

 

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर।  स्थानीय सिद्धार्थ युनिवर्सिटी कपिलवस्तु में मनोविज्ञान विभाग में मनोविज्ञान विभाग में अस्सिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर उत्तर प्रदेश सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी की नियुक्ति को लेकर जिले में भांति भांति के सवाल खड़े होने लगे हैं। जिनमें राजनैतकि भ्रष्टाचार से लेकर व्यक्तिगत शुचिता तक पर आधारित सवाल शामिल हैं। इसका सबसे बड़ कारण यह बताया जा रहा है कि आर्थिक रूप से कमजोरों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षित इडब्ल्यूएस (EWS) कोटे का बेजा फायदा उठा कर शिक्षा मंत्री के भाई ने आर्थिक पिछड़े का फर्जी प्रमाणपत्र बनवा कर यह नौकरी हासिल की है। लोग इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं। जबकि मंत्री अनुज अरुण द्धिवेदी सिरे से इसे खारिज करते हैं और अपने को आर्थिक रूप से पिछडा बता कर अपनी नियुक्ति को नियमानुसार बताते है।

क्या है  पूरा प्रकरण

दरअसल सिद्धार्थ यूनवर्सिटी में 2019-20 में इस पद के वैकेंसी आई उस समय डा. अरूण द्धिवेदी राजस्थान में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे।  बावजूद इसके उन्होंने सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में आवेदन किया और साथ में आर्थिक रूप से पिछड़ा होने का सर्टीफिकेट भी लगाया और वे सलेक्ट भी हो गये। इसका खुलासा तब हुआ जब एक आईएएस अफसर रहे एक्टिविस्ट अमिताभ ठाकुर व उनकी पत्नी नूतन ठाकुर ने इसका खुलासा करते हुए सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी की चांसलर व प्रदेश की राज्यपाल आंनंदी बेन पटेल से पूरे प्रकरण की जांच की मांग की।

इस खुलासे के बाद सिद्धार्थनगर जिले में चिमगोइयां शुरू हो गईं। लोग कहने लगे कि प्रदेश के बेसिक शिक्षामंत्री के भाई जो खुद भी एक लाख रूपये से अधिक वेतन पाते रहे हों, अर्थिक रूप से पिछड़े कैसे हो सकते हैं। लोगों का मानना है कि आर्थिकरूप पिछड़े का प्रमाणापत्र मंत्री जी के दबाव में बनाया गया। यह पहली नजर में स्वाभविक भी लगता है।

एसडीएम इटवा बोले 

मगर इटवा के उपजिलाधिकरी उत्कर्ष श्रीवास्तव इससे इंकार करते हुए कहते है कि नवंबर 2019 में यह सर्टिफिकेट बना था जो पूरी तरह गाइडलाइन और नियम के अनुसार ही जारी हुआ है। मगर लोग इससे संतुष्ट नहीं होते उनका इसके बावजूद यही मानना है कि उनकी नियुक्ति और उनको जारी की गई इडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट सरकारी नियमों को ताक पर रखकर की गई है

इस सिलसिले में जब पत्रकारों ने इटवा के पूर्व विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष मात प्रसाद से जानना जा चाहा तो उनका कहना था अभी वह मंत्री जी के परवार की कई जगह फैली प्रापर्टी में मंत्री के भाई के भाई की वैधानिक स्थिति के बारे में तथ्य इकट्टा कर रहे हैं। उसके बाद ही इस विषय पर अपना मत रखेंगे।

 क्या किया अमिताभ ठाकुर व नूतन ठाकुर ने

एक्टिविस्ट अमिताभ ठाकुर तथा डॉ नूतन ठाकुर ने कहा है कि सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी कपिलवस्तु में मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर पद पर नियुक्त किये गए शिक्षा मंत्री डॉ सतीश चन्द्र द्विवेदी के भाई डॉ अरुण कुमार उर्फ़ अरुण द्विवेदी द्वारा नियुक्ति हेतु प्रस्तुत ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट की जाँच की मांग की है।

राज्यपाल तथा यूनिवर्सिटी की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल सहित अन्य को भेजे अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि डॉ अरुण कुमार शिक्षा मंत्री के भाई होने के साथ ही स्वयं भी बनस्थली विद्यापीठ, राजस्थान में मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर थे। ऐसे में डॉ अरुण कुमार द्वारा ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट प्राप्त किया जाना प्रथम द्रष्टया जाँच का विषय दिखता है।

उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ सुरेन्द्र दूबे ने भी कहा कि यदि ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट फर्जी होगा तो वे दंड के भागी होंगे। साथ ही शिक्षा मंत्री ने इस संबंध में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जो पूरे प्रकरण को अत्यधिक संदिग्ध बना देता है। अपने भाई के विषय में शिक्षामंत्री की खामोशी  पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं।

क्या कहते हैं मंत्री के भाई अरूण द्धिवेदी

अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए iपत्अरकारों से अरुण द्विवेदी कहते हैं कि मंत्री का भाई होना मेरे लिए अभिशाप हो गया है मेरी भी अपनी पर्सनल लाइफ है। 2016 में डीआईपीआर- डीआरडीओ में पीएचडी करने के बाद ही उन्होंने यहां पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था । 2019-20 में वैकेंसी आने के बाद उन्होंने मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए आवेदन किया और उस समय जरूरत के सारे डॉक्यूमेंट उन्होंने लगाए गए जो विश्वविद्यालय प्रशासन के पास मौजूद हैं।

इडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट के बारे में उन्होंने कहा कि यह प्रमाणपत्र सारे नियमों के अनुसार ही बना। सर्टिफिकेट के लिए  जो सरकार ने गाइडलाइन जारी किया है उसके लिए वह एलिजिबल है । इसीलिए उनका यह सर्टिफिकेट बना। अरुण द्विवेदी ने कहा कि अगर किसी को दिक्कत है तो वह उनकी नियुक्ति को चैलेंज करें। वह सही जगह पर इसका जवाब देंगे। अपनी पारिवारिक हैसियत के बारे में उन्होंने कहा कि उनके पास जो पैतृक संपत्ति है वह भी ews  सर्टिफिकेट के लिए जारी गाइड लाइन और क्राइटेरिया से काफी कम है। उनके नाम से कहीं पर भी कोई फर्म नहीं है जिसकी लोग बात कर रहे हैं।

 

 

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