vip seat–इटवाः गठबंधन को बेस पसंद, बाबा को अखिलेश पसंद और मुकीम को?

February 1, 2017 3:11 PM0 commentsViews: 3480
Share news

नजीर मलिक

111111

सिद्धार्थनगर। सपा–कांगेस गठबंधन के सहारे दोनो दल अपना बेस मजबूत करने में लगे है। इसी बेस के आधार पर यूपी  स्पीकर माता प्रसाद प्रसाद पांडेय अखिलेश की साइकिल की रफ्तार और तेज करने के चक्कर में हैं, मगर सबसे बड़ा सवाल इटवा में गठबंधन के महत्वपूर्ण नेता मो़कीम को लेकर है, कि वह गठबंधन के तहत माता प्रसाद पांडेय के साथ खड़े होंगे या खमोश रहेंगे, या अन्य कोई अप्रत्याशित कदम उठायेंगे।

इटवा में इस समय स्थिति बहुत जटिल है। समाजवादी पार्टी के झगड़े से वहां वर्करों का जोश घटा है। वहीं निरंतर तीन बबार की जीत से उनके प्रति इन्कम्बेंसी भी बढी है। ऐसे में अगर कांग्रेसी नेता पूर्व सांसद मो. मुकीम गठबंधन धर्म के तहत उनकी खुल कर मदद करें तो उनकी राह आसान हो जायेगी।

 क्या है जातिगत आंकडा

जातीय आंकडे़ के मुताबिक वहां ३६ फीसदी मुस्लिम, 17 दलित हैं। इसके अलावा १३ फीसदी, यादव १२ फीसदी ब्रहमण है। शेष २२ प्रतिशत में अन्य पिछड़ी जातियां, वैश्य, राजपूत, कायस्थ आदि हैं। आंकड़ों के मुताबिक बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार हाजी अरशद खुर्शीद कांगज पर बहुत मजबूत दिख रहे हैं। उन्होंने क्षेत्र में निरंतर सक्रियता भी बनाये रखा है। वह सपा खेमे से कुछ अच्छे मुस्लिम वर्करों को अपने साथ जोड़ने में कामयाब हुए है। इसके अलावा भाजपा के सतीश द्धिवेदी और रालोद से क्षेत्र के जमीनी नेता हरिशंकर सिंह  के लड़ने की खबर से गैर बसपाई मतों में विभाजन का खतरा सर पर खड़ा है।

मुकीम की अहमियत

इन मुश्किल हालात में माता प्रासाद पांडेय को चुनावी वैतरणी पार करने के लिए मुकीम का साथ पाना अहम हो जाता है। पूर्व सांसद मुकीम का इटवा में व्यक्तिगत जानाधार है। उनके पास समर्थर्कों की एक मजबूत टीम है जो चुनाव का रुख बदल देने की ताकत रखते हैं। कई बार उन्होंने साबित भी किया है।

क्या करेंगे पूर्व सांसद

पूर्व सांसद मुकीम के साथ भी बड़ी समस्या है।उनकी पूरी राजनीति ही माता प्रसाद पांडेय के विरुद्ध राजनीतिक संघर्ष  के साथ चलती रही है। एक बार दोनों साथ हुए भी,लेकिन कुछ महीने भी साथ न निभ पाया और मुकीम अपमानित होकर पुराने खेमे में लौट आये। दूसरी तरफ बसपा उम्मीदवार अर्शद खुर्शीद से भी उनकी दूरी है।

ऐसे में मो. मुकीम क्या फैसला लेंगे। इस बारे में जानने के लिए प्रयासकरने पर पूर्व सांसद से सम्पर्क नही हो सका। लेकिन उनके कई समर्थकों ने कहा कि न गठबंधन का बेस पसंद, न बाबा का अखिलेश् पसंद और न ही बसपा का गणेश पसंद है। देखते रहिये आगे क्या गुल खिलता है।

 

Leave a Reply