बड़हलगंज पार्क में दंबग कर रहा खुले आम भवन निर्माण, प्रशासन चुप

June 18, 2018 2:04 PM0 commentsViews: 772
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— बड़हलगंज के अम्बेडकर तिराहे पर वर्ष 2003 में पूर्व मंत्री पं. हरिशंकर तिवारी ने करवाया था निर्माण

— पार्क से कई बार प्रशासन द्धारा अवैध कब्जा हटाया गया, मगर इस बार प्रशासन पूरी तरह चुप क्यों

 

नजीर मलिक

गोरखपुर। जिले के बड़हलगंज उपनगर के अंबेडकर तिराहे पर बने सार्वजनिक पार्क में एक व्यक्ति निजी निर्माण कार्य करा रहा है जबकि स्थानीय प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। कस्बे के लोग पार्क से अवैध कब्जा हटाने की वर्षो से मांग कर रहे हैं लेकिन एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स बेखबर है, जिससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है।

इस पार्क का निर्माण वर्ष 2003 में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री हरिशंकर तिवारी ने करवाया था। पार्क में रंग-बिरंगे फूल, हरी घासें, बैठने के लिए बेंच, बच्चों के लिए झूला आदि की व्यवस्था की गई थी, जिसमें कस्बे के लोग सुबह-शाम घूमने जाते थे। पार्क में उत्तर तरफ प्रेसक्लब द्वारा नेताजी सुभाष चंद बोस की प्रतिमा लगवाई गई है तो वहीं पूरब-दक्षिण कोने पर डा. भीमराव आंबेडकर की मूíत लगी है। वर्ष 2006 में पार्क के दक्षिण-पश्चिम कोने पर रैन बसेरा का भी निर्माण करवाया गया। तत्कालीन जिलाधिकारी राजन शुक्ल ने पार्क उद्यान विभाग को सौंपकर चौकीदार नियुक्त करवाया था, जो पार्क की देखरेख करता था।

बताया जाता है कि कुछ दिन बाद एक व्यक्ति ने पार्क में लगे शिलापट्ट को तोड़ दिया। इस मामले में उस पर मुकदमा भी दर्ज हुआ था लेकिन धीरे-धीरे पार्क पर कब्जा शुरू हो गया। वर्ष 2007 में नई सरकार बनने के बाद पार्क को पूरी तरह नष्ट कर उसमें खेती की जाने लगी। लोगों की मांग पर तत्कालीन राज्यमंत्री राजेश त्रिपाठी के प्रयास से पार्क को कब्जामुक्त कराया गया, लेकिन कुछ ही दिन बाद पार्क पुन: कब्जा हो गया। आखिरी बार वर्ष 2013 में तत्कालीन उपजिलाधिकारी मोती लाल सिंह ने पार्क को खाली कराकर पुलिस को सौंप दिया और पार्क में पुलिस पिकेट भी स्थापित हुई। जब तक पुलिस वहां रही पार्क कब्जा मुक्त था। पुलिस के हटते ही पुन: पार्क पर कब्जा हो गया और व्यक्तिगत उपयोग में लेते हुए पार्क में निर्माण कार्य शुरू हो गया।

चिल्लूपार संघर्ष समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार उर्फ बबलू राय, युवा नेता आलोक तिवारी, भाजपा नेता अमित त्रिपाठी, गौरव दुबे, राधेश्याम भारती, अवधेश कुमार, अवधेश मणि त्रिपाठी, राणा सिंह, अशोक कुमार आदि का कहना है कि प्रशासनिक उपेक्षा के कारण उपनगर के एक मात्र पार्क का अस्तित्व समाप्त हो रहा है। प्रशासन को तकनीकी कमियों को दूर कर पार्क से कब्जा हटवा देना चाहिए, नहीं तो यह एक नजीर बन जाएगा और हर कोई सरकारी जमीन पर कब्जा करने लगेगा।

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