इटवा में केले के रेशे से बनेंगे रोजमर्रा के सुंदर सामान, हजारों महिलाओं को मिलेगा रोजगार

March 7, 2022 12:24 PM0 commentsViews: 471
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पहले केले के तने को बेकर समझ कर फेक देते थे किसान,

अब तनों से रेशे निकाल कर बनाये जाएंगे आधुनिक सामान

 

आरिफ मकसूद

चित्र परिचय- केले के रेशे से हैट व टोकरी  बना कर दिखाती महिलाएंं

इटवा, सिद्धार्थनगर। जिले में केला उत्पादन के केन्द्र इटवा तहसील की महिलाओं के दिन पलटने वाले हैं। किसान केला पैदा करेंगे तो गांव की महिलाएं केले के फेंक दिये गये तने के रेशे से आधुनिक सामान बना कर हजारों और लाखों कमा सकेंगी। तहसील के खुनियांव विकास क्षेत्र की महिलाओं को इसके लिए प्रशिक्षण देने का काम शुरू कर दिया गया है। इससे इटवा के आर्थिक विकास की संभावनाएं बढ़ गई हैं।

खबर है कि गत 7 मार्च को मुख्य विकास अधिकारी ने इटवा में आयोजित एक प्रशिक्षण में  भाग लिया जहां स्वयं सहायत समूह कि महिलाएं प्रशिक्षणरत थीं। जहां उन्हें बताया गया कि वर्तमान में समूह की महिलाओं द्वारा केले के रेशे से टोपी, चप्पल, फुट मैट, बैग, टोकरी आदि विभिन्न सामग्री बनाई गई है। अब किसानों द्धारा फेंक दिये गये केले के तने से भांति भांति के सामान मना कर महिलाएं प्रतिमाह हजारों कमा सेंगी।

ग्राम संगठन के अंतर्गत  आजाद आजीविका समूह की अध्यक्ष श्रीमती सरोज देवी द्वारा बताया गया कि उनकी सामग्री को लोग पसन्द कर रहे है और उनकी डिमांड है l मुख्य विकास अधिकारी द्वारा अजीविका मिशन एवम नाबार्ड के सहयोग से केले के रेशे से बनने वाली वस्तुओं की विक्री हेतु    ग्रामीण हाट के बनने के लिए तथा केले के रेशे बनाने के लिए समूह की महिलाओं हेतु मशीन लगाने के लिए निर्देशित किया गयाl प्रशिक्षण कार्यक्रम में बृज राज साहनी, डीडीएम नाबार्ड एवम उनके मास्टर ट्रेनर सहित समूह की महिलाए, ग्राम वासियों उपस्थित रहे l

ज्ञात रहे कि जनपद के इटवा तहसील के खुनियाव विकास खण्ड में केले की खेती अधिक की जाती है l केले के उत्पादन के बाद तना बेकार हो जाता है, जिसका कोई मूल्य नहीं मिलता था किसान उन्हें फेक देने को विवश थे। इसलिए ग्राम वासियों से विचार विमर्श करके मुख्य विकास अधिकारी द्वारा इस ओर विशेष प्रयास कर केले के रेशे से बनने वाली वस्तुओं के निर्माण हेतु ग्रामवासियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई।

 

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