बसपा बदल सकती है पुराने चुनावी समीकरण, बढ़ सकेगी साइकिल की रफ्तार

December 15, 2021 2:02 PM0 commentsViews: 1023
Share news

पूर्व के चुनावों में मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर कराती थी मत विभाजन, इस बार सवण उम्मीदवारों पर दांव

डुमरियागंज से अशोक तिवारी, इटवा सीट से हरिशंकर सिंह तथा शोहरतगढ़से राधारमण त्रिपाठी का टिकट पक्का

 

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर।  जिले की कई विधान सभा सीटो पर इस बार पुराने राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। इसके लिए बसपा की बदली हुई रणनीति बताई जा रही है। बसपा हाईकमान पूर्व के चुनावों में जहां अधिकांश सीटो पर मुस्लिम कैंडीडेट उतार कर सपा को करारा झटका देती थी वहीं इस बार उसने मुस्लिम की जगह सवर्ण खास कर ब्राह्मण उम्मीदवारों को तरजीह दे रही है। इससे साइकिल की रफ्तार परवान चढ़ने की उम्मीद बढ़ गई है और समाजवादी पार्टी के पौ बारह के आसार बनने लगे हैं।

लिे की पांच विधानसभा सीटों में से एक अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है। बकी की चार सीटों में से दो अथवा तीन सीटों पर बसपा आम तौर पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारती रही है। 2017 के विधान सभा चुनावों में बसपा ने तीन मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। जिस का नतीजा यह हुआ की मुस्लिम मतों के सपष्ट विभाजन के कारण् बसपा के साथ समाजवादी पार्टी को सभी पर बुरी हार का सामना करना पड़ा। बसपा की सैयदा खातून ने डुमरियागंज सीट पर भाजपा को सबसे कड़ी टक्कर दी और मात्र दो सौ वोटों से हारी जबकि सपा प्रत्याशी उनके गांव के आस पास के गांवों के मुस्लिम मत बराबर मत बांटने सफल रहा।

इसी प्रकार इटवा विधानसभा में बसपा प्रत्याशी अरशद खुर्शीद ने लगभग ४५ हजार मत बटोरे जिनमें आधा मत मुस्लिमों का था। अरशद खुद तो न जीत सके और सपा प्रत्याशी माता प्रसाद पांउेय को भी हरा दिया। शोहरतगढ़ सीट पर भी बसपा प्रत्याशी मो जमील सिद्दीकी ने भी लगभग 40 हजार मत बटोरे और नतीजे में सपा को हारना पड़ा। हालांकि इन तीनों सीटों पर बसपा दसरे व सपा तीसरे नम्बर पर रही।
मगर राजनीतिक के जानकार समझते हैं कि बसपा के मुस्लिम कैंडीडेट को आम तौर पर दलित व मुस्लिम के अलावा किसी अन्य जाति का वोट नहीं मिलता।

ऐसे में मुस्लिम कैंडीडेट मुसलमानों के अधिकांश वोट पाकर दूसरे नम्बर पर तो पहुंच सकता है, मगर जीत नहीं नहीं हासिल कर पाता है। शायद मायावती ने इसे समझ कर ही अपनी रणनीति बदली है और ब्राह्मण पर दांव लगाया है। क्योंकि ब्रहमण प्रत्याशी अपने प्रभाव के बल पर अन्य जातियों का वोट भी पा जाता है। लेकिन मायावती की इस नयी रणनीति से सपा को जिले में बहुत लाभ दिख रही है। इस बार वह मुसलमानों के एक मुश्त वोट से निश्चिंत होकर अपनी ताकत अति पिछड़ों पर लगा सकेगी जो उसकी जीत का फार्मूला बनेगा।

जिले के राजनीतिक विश्लेषक यशोदा श्रीवास्तव कहते हैं कि बसपा की बदली रणनीति से सपा को भारी फायदा होने जा रहा है। उसके द्धारा मुस्लिम प्रत्याशी न देने से सपा को मुसलमानों की ओर से निश्चिंतता हो गई है जबकि उनके स्थान पर लड़ने वाले डुमरियागंज से अशोक तिवारी, शोहरतगढ़ से राधारमण त्रिपाठी व इटवा से भाजपा छोड़ कर बसपा में आये हरिशंकर सिंह अन्ततः भाजपा के वोट में ही विभाजन करायेंगे जिस प्रकार पिछले चुनावों में तीनों मुसलमान प्रत्याशियों ने सपा के जनधार में विभाजन कराया था।

Leave a Reply