मुशायराः “काला धन तो आय जात बस एक झपट्टा मा, रामदेव जो भगते न सलवार दुपट्टा मा”

April 27, 2016 1:23 PM0 commentsViews: 2165
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ओजैर खान

बढ़नी के मुशायरे में गजल सरा शायरा तरन्नुम नाज

बढ़नी के मुशायरे में गजल सरा शायरा तरन्नुम नाज

बढ़नी, सिद्धार्थनगर। बीती रात टाउन में आयोजित आल इंडिया कविसम्मेलन और मुशायरे में देर रात तक गीतों और गजलों की बरसात हुयी। अल्ताफ जिया और खुश्बू रामपुरी ने अपनी बारी में खूब समां बांधा।

मुशायरे को उरूज पर पहुंचाया मशहूर शायर अल्ताफ जिया ने। उनके एक एक अशआर और शानदार तरन्नुम पर लोग झूम उठे। बकौल अल्ताफ…..
बेसबब अपनी जुबां यूं नहीं खेला करते
चांद के सामने तारे तारे नहीं बोला करते
आज तो आप भी शीशे की तरह बोल पड़े
हम तो समझे थे कि पत्थर नहीं बोला करते

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध शायर डा कलीम कैसेर ने बहुत भावनातक शेर पढ़े। जज्बात से भरे और व्यस्था पर तंज करते उनके शेरों पर खूब तालिया मिलीं। कलीम कैसर का कहना था कि …..

हमें विश्वास है व्यभिचारी शासन हार जाएगा
हमारे हौसलों से फिर ये रावण हार जाएगा
मेरे नैहर की भेजी काँच की चूड़ी जो है उससे
मेरे ससुराल के सोने का कंगन हार जाएगा

इस मौके पर मुकामी शायर जमाल कुद्दूसी भी पीछे  न रहे। उन्होंने साम्प्रदायिकता पर करारा हमला बोलते हुए अपनी बात यों रखी……
क्यों इतने फितने उठा रहें हो,जले हुए को जला रहे हो
गला हमारा ही कट रहा है, हमीं को कातिल बता रहे हो

अपनी बारी में हास्य कवि विकास गोयल ने लोगों को जमकर हंसाया। उनकी एक एक लाइन पर पूरे पंडाल में ठहाके लगते रहे। उन्होंने कहा कि ….
काला धन तो आय जात एक झप्ट्टा मा ।
राम देव जो भगते न सलवार दुपट्टा मा ।
प्यार मोहब्बत मे कुछ आम फॅसे कुछ खास फॅसे
पर ऐसा कोई न फॅसा जैसा वापू आशाराम फॅसे ।

मुशायरे में शायरा तरन्नुम नाज ने भी जलवा बिखेरा। उनकी गजलों को लोगों ने खूब सराहा। तरन्नुम नाज की तमन्ना थी कि …..
काम ऐसा जमाने में कर जाऊं मै
नाम जिंदा रहे और मर जाऊं मै।

इसके अलावा मुशायरे में खुश्बू रामपुरी, निजाम बनारसी, सुशील सागर, ज्ञानेन्द्र द्धिवेदी, नासिर जौनपुरी, अम्बर बस्तवी और दिलशाद गोरखपुरी ने भी अपनी रचनाएं पेश कीं। सचालन नदीम फर्रुख ने किया। कार्यक्रम में बढनी, कृष्णानगर,पचपेडवा, बलरामपुर, जनपद सिद्धार्थनगर के हजारों श्रोता रात भर शायरों की हौसला आफजाई करते रहे।

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