शहीदे आजम भगत सिंह ने कहा था- ‘साम्प्रदायिकता मुल्क की सबसे बड़ी दुश्मऩ’- इतिहासकार प्रो. राम पुनियानी

March 21, 2023 1:56 PM0 commentsViews: 285
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नजीर मलिक

भारत में शांति, समृद्धि व समाजवाद के लिए सांझी विरासत और धर्मनिरेक्षता के विचार को बढ़ावा देना होगा। शहीदे आजम सरदार भगत सिंह यही सोचते थे। देश की आजादी की लड़ाई के साथ उपरोक्त विचारों को आगे बढ़ाने के लिए शहीदे आजम ने जीवन के अंत तक हर सभंव प्रयास किया।

उपरोक्त विचार प्रख्यात इतिहासकार और लेखक प्रो. राम पनियानी ने व्यक्त किया। वेजिला मुख्यालय से 50 मिमी दूर दुधवनियां (बढ़नी) में भगत सिंह के बलिदान दिवस (23 मार्च) के उपलक्ष्य में आयोजित विचार गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।  कार्यक्रम का आयोजन स्वतंत्रता सेनानी ए.के. रहमानी फाउंडेशन की ओर से किया गया था। इस अवसर पर राम पुनियानी ने कहा कि भगत सिंह ने जाति प्रथा व छूटा छूत जैसी कुरीतियों का मरते दम तक विरोध किया।

राम पुनियानी ने कहा कि देश की सबसे बड़ी समस्या साम्प्रदायिकता है।जिसे अंग्रेजों ने सत्ता के लिए जन्म दिया। उसके बाद तमाम कारणों से इस पर अंकुश लगाने में ढिलाई बरती गई।  इतिहास का लगातर विकृत किया जाता रहा। उन्होंने कहा कि सामप्रदायिकता व सामाजिक विषमता शांति और विकास की दुश्मन है, भगतसिंह ने उसे बहुत छोटी उम्र में ही समझ लिया था। इसलिए वे जीवन भर इसके खिलाफ रहे। उनका मानना था कि यह भविष्य में भारत की प्रगति में सबसे ब़ा रोडड़ा साबित होगा। इसलिए उन्होंने बार बार अपने लेखों के माध्यम से इस पर प्रहार करते रहे।

अंत में उन्होंने कहा कि हमें भगतसिंह के बतायेविचारों को अपनाते हुए उनकी साम्प्रदायिकता विरोधी मुहिम को आगे बढ़ाना होगा तभी हम एक शक्तिशाली और समद्धि राष्ट्र की स्थापना कर सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि नई पीढ़ी को नई समझ और नये तथ्यों के साथ तिहास को समझ कर भारत की सांझा संस्कृति के ताने बाने को मजबूत करना होगा। यही भारत के शहीदे आजम भगत सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

गोष्ठी में आयीं भारत के अंतिम सम्राट और स्वाधीनता संग्राम के नायक स्व. बहादुर शाह जफर की प्रपौत्र वधू समीना बेगम ने कहा कि हमारे पुरखों ने एकजुट होकर देश की आजादी के लिए जिस प्रकार अपनी जानें कुर्बान कीं, हमें उसको बेकार नहीं जाने देना चाहिए। इसके पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री और स्वतन्त्रता सेनानी के पुत्र नर्वदेश्वर शुक्ल ने  कहा कि सक्षम और शक्तिशाली भारत का निर्माण हम अपनी सांझा विरासत की डोर को मजबूत बना कर ही कर सकते है।

सामवार देर शाम बजे तक चली विचार गोष्ठी में उपरोक्तत के अलावा शहजहांपुर से आये शहीद अशकुल्लाह खां के परिजन और उनके ही हमनाम अशक खां, वरिष्ठ पत्रकार आनंदवर्धन सिंह व सुरेन्द्र सिंह चौधरी  ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम के संयोजक व सेनानी अब्दुल कयूम रहमानी फाउंडेशन के अध्यक्ष  बदरे आलम ने किया।  इस अवसर पर प्रो. सुहेल अहमद, सैयदा खातून विधायक, बेचई यादव घिसियावन यादव, इसरार अहमद, आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम संचालन जहीर आलम ने किया।

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