गोरखपुर मेडिकल कालेज में अगस्त के 29 दिनों में 386 मौतें हुईं

August 31, 2017 11:30 AM0 commentsViews: 180
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––– नियोनेटल आईसीयू में 215 शिशुओं की जान गई, इंसेफेलाइटिस से 73 व अन्य रोगों से 98 बच्चों की मौत

गोरखपुर ब्यूरो


गोरखपुर, 30 अगस्त। बीआरडी मेडिकल कालेज में अगस्त माह के 29 दिनों में 386 बच्चों की मौत हुई है। इसमें सर्वाधिक 215 मौतें नियोनेटल यानि एक से 28 दिन के नवजात शिशुओं की हैं। इसके अलावा इंसेफेलाइटिस से 73 बच्चों की मौत हुई है शेष 98 बच्चों की मौत विभिन्न बीमारियों से हुई है।
आज शाम बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य पीके सिंह ने बातचीत में एक अगस्त से 29 अगस्त तक तारीखवार एनआईसीयू नियोनेटल आईसीयू और पीआईसीयू पीडियाटिक आईसीयू में बच्चों की मौत का विवरण दिया।

नियोनेटल आईसीयू में 28 दिन से कम आयु के वह शिशु भर्ती होते हैं जिन्हें जन्म के बाद सांस लेने, संक्रमण की स्थिति में भर्ती कराया जाता है। जन्म के समय अत्यधिक कम वजन वाले बच्चे भी यहां इलाज के लिए आते हैं।पीआईसीयू में इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त बच्चों के अलावा दूसरी बीमारियों के शिकार बच्चे भर्ती किए जाते हैं।

उनके अनुसार अगस्त माह में कुल 1480 बच्चे एनआईसीयू और पीआईसीयू में भर्ती हुए जिसमें से 386 की मौत हो गई। एनआईसीयू में 480 शिशु भर्ती हुए जिसमंे से 215 की मौत हो गई जबकि पीआईसीयू में इस 29 दिनों में एक हजार बच्चे भर्ती हुए जिसमें से 171 की मौत हो गई। इनमें इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त बच्चों की संख्या भी शामिल है।

प्राचार्य द्वारा दिए गए विवरण से पता चलता है कि वर्ष 2016 के मुकाबले अगस्त माह में एनआईसीयू और पीआईसीयू में शिशुओं और बच्चों की मौत बढ़ी है। पिछले वर्ष अगस्त माह एनआईसीयू में 174 शिशुओं की मौत हुई थी जबकि इस वर्ष यह संख्या 215 हो गई है। इसी तरह पीआईसीयू में पिछले वर्ष 190 बच्चों की मौत हुई थी जबकि इस वर्ष यह 171 संख्या है।

बीआरडी में संसाधन की कमी नहीं, पेंशेट लोड ज्यादा है-प्राचार्य
प्राचार्य ने कहा कि इस वक्त गोरखपुर और आस-पास के जिले बाढ़ के चपेट में हैं। इसलिए मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि नियोनेटल डेथ इसलिए ज्यादा है क्यों कि यहां पर अधिकतर कुपोषित व बेहद कम वजन के बच्चे इलाज के लिए क्रिटिकल स्थिति में पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि संसाधन पर्याप्त हैं लेकिन मरीजों की भीड़ से कभी-कभी संसाधनों की कमी हो रही हैं। यह एक बड़ा अस्पताल हैं जहां प्रतिदिन चार हजार की संख्या में मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। यहां पेंशेट लोड बहुत है।

उन्होंने मेडिकल कालेज में चिकित्सकों की कमी को स्वीकार किया और कहा कि यहां 17 मरीज पर एक चिकित्सक का अनुपात है जबकि यह 10 मरीज पर एक का होना चाहिए।
इंसेफेलाइटिस वार्ड के चिकित्सा कर्मियों के वेतन, वेतनवृद्धि और पीएमआर सेंटर के चिकित्सा कर्मियों का 28 महीने से वेतन नहीं मिलने के सवाल पर उनका कहना था कि उनके कार्यभार ग्रहण किए दस दिन ही हुए हैं। फाइनेंस कन्ट्रोलर अवकाश पर हैं। उनके आते ही इन समस्याओं के समाधान की कोशिश की जाएगी।

 

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