डुमरियागंज सीटः चापलूस मंडली की वजह से टिकट का फैसला नहीं कर पा रही कांग्रेस

April 17, 2019 3:57 PM0 commentsViews: 1641
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नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। नामांकन कि प्रकिया शुरू हुए दो दिन बीत चुके हैं, मगर डुमरियागंज के कांग्रेसी उम्मीदवार के बारे में कोई फैसला नहीं ले पा रही है।  ऐसी हालत में पहले से ही हताश कांग्रेसियों में निराशा बढ़ती जा रही है। इसके पीछे कांग्रेस आलाकमान के इर्द़गिर्द घुम रहे चापलूसों की मंडली को जिम्मेदार बताया जा रहा है। यह देर कांग्रेस के लिए अत्मघाती हो सकती है।

क्यों बार बार मूड बदलता है आलाकमान?

बताया जाता है कि गत तीन अप्रैल को दिल्ली में प्रियंका गांधी ने डुमरियागंज सीट से टिकट के लगभग सभी दावेदारों से मुलाकात कर सच जानने की कोशिश की थी। उस वक्त पार्टी किसी ब्रह्मण को टिकट देने के मूड में थी। टिकट के सबसे प्रबल दावेदार मुकीम से खुद भी किसी ब्राह्मण नेता के नाम का सुझाव भी मांगा गया था। जिस पर उन्होंने कांग्रेस के पुराने नेता और पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री नर्वदेश्वर शुक्ला का नाम भी दिया था।

बताते हैं कि उनके इस सुझाव का समर्थन कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मोहसिना किदवई ने भी समर्थन किया था। और अंततः मान लिया गया था कि मुस्लिम कैंडीडेट के रूप में पूर्व सांसद मुहम्मद मुकीम लड़ेंगे वरना ब्राह्मण प्रत्याशी पर फैसला होने पर नर्वदेश्वर शुक्ला को मौका मिलेगा। अन्ततः 12 अप्रैल को मुहम्मद मुकीम के नाम पर फैसले पर मुहर लगी और उनके प्रत्याशी होने की जानकारी राहुल गांधी के सचिव संदी सिंह ने खुद मु. मुकीम को दी।

 आखिर राहुल का फैसला क्यों हुआ स्थगित?

इस घोषण के 24 घंटे बाद ही दिल्ली की हवा बदले लगी और भाजपा से तीन बार एमएलए रहे जिप्पी तिवारी ण्भर कर सामने आये और मुहम्मद मुकीम का सिम्बल यानी बी फार्म रोक दिया गया।  वर्ममान में हालत यह है कि जिन्नी तिवारी टिकट के नये दावेदार बन कर उभरे हैं और डुमरियागंज में अफवाहों का दौर शुरू हो गया है।इस दौरान यहां नामांकन प्रकिया भी शुरू हो गई है। नामांकन के बाद कुल 15 दिन ही चुनाव के बचते हैं, ऐसे में प्रत्याशी कोई भी हो, वह इतने विशाल क्षे़त्र में सम्पर्क कैसे करेंगा, यह बात कांग्रेस के आलाकमान की समझ में नहीं आ रही।

पेंच क्या है, क्यों कन्फ्यूज है कांग्रेस आला कमान?

आखिर इसे बुरे हालात के लिए जिम्मेदार कौन है? सह सवाल उठाने पर कई गंभीर कांगेसी बतातेहै कि दरअसल प्रियंका गांधी व राहुल के दरबार में चाटकार सलाहकारों की भीड़ लगी है। वहीं सारे कन्फ्यूजन की जड़ है। इसमें देवरिया जिले के एक कथित सलाहकार की भूमिका प्रमुख है। एक निष्ठावान कांग्रेसी का कहना है कि टिकट किसी को मिले, लेकिन फैसला हो जाना चाहिए था। मगर ये सलाह कर मामले को उलझा कर कई दावेदारों से अपना उल्लू सीघा करने में लगे हैं, चाहे कांग्रेस भाड़ में ही क्यों न चली जाए।

क्या कहते है पूर्व सांसद मुहम्मद मुकीम

इस बारे में पूर्व सांसद मु. मुकीम का कहना है कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कहा जा चुका है। इसलिए वे अपने को प्रत्याशी मान कर जनता के बीच हैं। बाकी बातें सच हैं या अफवाह इस बारे में वे कुछ नही कह सकते। वे अपने प्रचार में जुटे हुए हैं। लेकिन कई कांग्रेस कहते हैं कि चापलूसों के चक्कर में प्रत्याशी को जिंदा लाश के रूप में युद्ध में झोंकना आत्मघाती है। इसलिए कांग्रेस तो जंग हार चुकी है, भले ही प्रत्याशी कोई हो।

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