सिद्धार्थनगरः टिकट वितरण में कांग्रेस को नये सिरे से सोचना होगा, बनानी होगी नई रणनीति

January 7, 2022 1:36 PM0 commentsViews: 884
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पांच में से दो विधानसभा सीटो पर अल्पसंख्यक और तीन पर सवर्ण, महिला और दलित उम्मीदवार उतारना होगा

 

नजीर मलिक

 

शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। जिले में कांग्रेस को टिकट वितरण में नयी रणनीति अपनानी होगी। जिसमें जिले की दो सीटों पर अल्पसंख्यक तथा बाकी की तीन सीटो पर सवर्ण, महिला व दलित को टिकट देकर नई सोशल इंजीनियरिंग करनी होगी। इससे जरूरी तो नहीं कि कांग्रेस को सभी सीटो पर जीत ही मिले मगर उसके इस कदम से 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को निश्चित ही लाभ मिलने की बात मानी जा रही है।

ज्ञात रहे कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का ग्राफ निरंतर गिरता जा रहा है। पिछले तीस सालों में कांग्रेस का वोट 37 प्रतिशत से गिर कर 7 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इसका प्रमुख कारण प्रदेश कि साम्प्रदायिक राजनीति के चलते वोटों का ध्रुवीकरण होना है। पिछले तीन दशक में कांग्रेस का मुस्लिम वोट जहां सपा और कुछ बसपा में जाता रहा है, वहीं हिंदू वोट भाजपा के पक्ष में लामबंद होता रहा है। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस को जिले में अपना खोया वोट बैंक पाने के लिए नयी सोशल इंजीनियरिंग करनी होगी। जातीय समीकरण फिट कर धीरे-धीरे अपना वोट बढ़ाना होगा।

जानकारों का मानना है कि जिले की पांच विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को दो सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारना चाहिए तथा शेष तीन पर हिंदू समाज के प्रत्याशी देने होंगे। जिले के राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक इस रणनीति के तहत इटवा और शोहरतगढ़ विधानसभा सीटों पर पार्टी दो मुस्लिम चेहरे उतार सकती है। जहां से क्रमशः पूर्व सांसद मुहम्मद मुकीम और डा. सरफराज अंसारी प्रबल दावेदार और क्षेत्र में काफी सक्रिय भी हैं। मुहम्मद मुकीम जहां कांग्रेस के पुराने नेता है वहीं डा. सरफराज अंसारी ने पिछले तीन सालों से जनता के बीच काफ कर कांग्रेस की पहचान बनाई है।

इसके अलावा डुमरियागंज से कांग्रेस के सबसे सक्रिय नेता सच्चिदानंद पाडेय का टिकट लगभग फाइनल हो चुका है। क्षेत्र में उनकी हनक भी है। बाकी बची बांसी सीट से पार्टी किसी महिला मसलन किरन शुक्ला या किसी अन्य को उतार सकती है। कपिलवस्तु सुरक्षित सीट से कांग्रेस अपने नेता कैलाश पंछी अथवा पूर्व विधायक गेंदा देवी के पुत्र देवेन्द्र कुमार उर्फ गुडृडू पर दांव लगा सकती है। विधानसभा सीट इटवा और शोहरतगढ़ आपस में सटी हैं तथा बाकी की सीटे उन्हें चारों तरफ से घेरे हुए हैं। ऐसे में सभी सीटों पर एक दूसरे की हवा का लाभ मिल सकता है और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का मुकाबला करना आसान हो सकता है।

जिले के राजनीतिक विश्लेषक वाई. एन. श्रीवास्तव कहते हैं कि अतीत में दलित, मुस्लिम और ब्राह्मन कांग्रेस का पक्का वोट बैंक रहा है। इसलिए कांग्रेस को पहले अपने परम्परागत वोटों पर ध्यान देना होगा जो उसका साथ छोड़ गये हैं। एक और जानकार एस. के. मिश्र कहते हैं कि वर्तमान में ब्राह्मण भाजपा से तथा दलितों का एक वर्ग मायावती से दुखी है। इसके अलावा मुसलमानों का भी एक वर्ग सपा को नापसंद कर बसपा को वोट करता आ रहा है, अब वह भी कांग्रेस के खेमे में आ सकता है। इसलिए इस रणनीति पर कांग्रेस अमल कर सकती है। विश्लेषकों के मुताबिक इस नई रणनीति से जरूरी नहीं कि कांग्रेस सारी सीटें जीत जाएं मगर इससे वह अपने पुराने वोट बैंक को वापस पाने की शुरआत कर सकते हैं। इसका लाभ उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों में जरूर मिलेगा जहां कांग्रेस ही भाजपा की एकमात्र प्रतिद्धंदी होगी।

सवर्ण उम्मीदवारों में डॉ. अरबिंद शुक्ला आगे

शोहरतगढ़ विधानसभा से मजबूत दावेदारी पेश करने वाले कांग्रेस के युवा नेता डॉ. अरबिंद शुक्ला सबसे आगे दिख रहे हैं। पिछले दो वर्षों से इन्होंने जिले में धूमिल हो चुकी कांग्रेस की अलख जगाई है खासकर युवाओं में। पार्टी ने यदि किसी भी सूरत में शोहरतगढ़ विधानसभा में यदि अल्पसंख्यक को टिकट न देकर सवर्ण विरादरी पर दांव खेला तो डॉ. शुक्ला कांग्रेस के पहले विकल्प होंगे।

 

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