सावधान! आने वाले दिनों में धन-दौलत नहीं अनाज की लूट होगी

September 1, 2015 12:50 PM0 commentsViews: 243
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नज़ीर मलिक

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अगर कोई यह कहे कि आने वाले दिनों में लोग नकदी-जेवर की बजाये अनाज की लूट को तरजीह देंगे, तो शायद विश्वास न हो।  मगर सच यही है कि आने वाली पीढ़ियों में दौलत नहीं अनाज की लूट होगी। आज एक शहर में प्याज की चोरी बड़ी खबर है, मगर कल गांव-गांव, शहर-शहर मे ऐसी खबरें आम हो सकती हैं। इसकी मुख्य वजह ज़िले में प्रति वर्ष कृषि योग्य जमीनों का तेजी से घटना बताया जाता है।

चौंकिए नहीं। इक्कीसवीं शताब्दी की समाप्ति यानी दो-तीन पीढ़ी बाद सिद्धार्थनगर में आबादी इतनी होगी कि खेती के लिए जमीन मुश्किल से मिलेगी। समय के साथ यह संकट और बढ़ेगा। सरकारी आंकडों के मुताबिक जिले में प्रति वर्ष लगभग पांच सौ हेक्टेेयर कृषि योग्य जमीन आवास अथवा व्यवसायिक भवन बनाने में खर्च हो जाती है। सिद्धार्थनगर जिले का कुल क्षेत्रफल 2752 वर्ग किमी है। जिसमें कृषि योग्य जमीन तकरीबन ढाई लाख हेक्टेयर है।

गौर तलब है कि अगर पांच सौ हेक्टेयर जमीन पति वर्ष भवन निर्माण में खर्च होती रहेगी, तो इस शताब्दी के अंत तक जिले की पचास हजार हेक्टेयर भूमि घट जाएगी। इसी के साथ जनसंख्या 25 लाख से बढ़ कर एक करोड़ हो जायेगी। ऐसे में अनाज का संकट एक विकट समस्या बनेगा।

कृषि और जनसंख्या संतुलन की जानकारी रखने वालों का कहना है कि यह प्रकिया निरंतर जारी रहेगी और घटती जमीन के कारण अनाज का संकट प्रतिदिन गहराता जायेगा। ऐसे में अगर कोई उपाय न हुआ तो एक समय लोगों को भुखमरी का सामना करना पडेगा। इंसान के लिए दो वक्त की रोटी सपना बन जायेगी। रूपया पैसा मकान सब कुछ रहेगा, मगर अनाज के लिए संघर्ष होने लगेगा। धन दौलत को लूटने के बजाये अनाज की लूट एक महत्वपूर्ण  क्राइम बन जायेगा। अफ्रीका के कई मुल्कों में अनाज के लिए दंगे तक भड़क चुके हैं।

हालांकि कुछ लोग भविष्य की बात कह कर इस सवाल को गंभीरता से नही ले रहे, लेकिन पर्यावरणविद डा.बीसी श्रीवास्तव इस चिंता को बखूबी समझते हैं। उनका कहना है कि पूरे देश में जमीनें घट रही हैं। इसलिए हमें सौ साल बाद आने वाले संकट के लिए अभी से तैयार रहना पडेगा। कृषि विशेषज्ञ डा.अख्तर अली कहते है कि आने वाले दौर में उपज तो बढेगी, लेकिन घटती जमीनों और बढती आबादी के चलते खाद्‍यान्न संकट और बढे़गा। ऐसे में बहुमंजिला इमारतों के माध्यम से कुछ दिनों तक इस समस्या को टाला तो जा सकता है, मगर रोका नहीं जा सकता। ऐसे में अनाज के विकल्प के लिए नये अनसंधान करने होंगे।

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