क्या दलित व पिछड़े वोटरों के रुख से अचानक भाजपा मुख्य लड़ाई में आई

February 28, 2017 3:08 PM0 commentsViews: 1156
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नजीर मलिक

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यूपी के सिद्धार्थनगर जिले में पांच विधानसभा सीटों पर दलित और पिछड़े वोटरों के बदले रूख ने राजीनीतिक दलों के खेमे में बेचैनी फैला दी है। सभी सीटों पर इस आशय की खबर है कि छिट पुट मतदान केन्द्रों पर दलितों पिछड़ों के कुछ वोट भाजपा को गये हैं। यही करण है कि जिले में बेीद कमजोर मानी जा रही भाजपा अचानक मुख्य लड़ाई में दिखने लगी है।

जानकारी के मुताबिक सभी विधानसभा सीटों से ऐसी जानकारियां सामने आ रही है कि बसपा समर्थक माने जाने वाले दलितों और सपा समर्थक यादवों व पासी समाज के कुछ वोट भाजपा को मिले हैं। डुमरियागंज व बांसी को छोड़ का शेष सभी सीटों पर यादवों का एक छोटा प्रतिशत ही सही, भाजपा को गया है। इटवा और कपिलवस्तु में इसका प्रतिशत बढ़ सकता है। शोहरतगढ़ में भी ऐसी सूचना है।

इस प्रकार जिले में दलित मतों का छोटा हिस्सा भाजपा के खेमे में जाता दिखा है। डुमरियागंज में राप्ती के उत्तर के तीन बथों पर, शोहरतगढ़ के कठेला क्षेत्र में, बांसी के पथरा क्षेत्र व कपिलवस्तु के ककरहवा क्षेत्र में कुछ दलित भाजपा को मतदान करते देख गये हैं। पासी समाज के कुछ वोट भी भाजपा में गये हैं।

दरअसल ऐसी खबरें बहुत कम मिली हैं, मगर राजनीतिक दलों के बीच यह चर्चा का विषय है। उनका मानना है कि अगर ऐसी बड़े पैमाने पर होता है तो यहां राजनीतिक दलों के चुनावों  समीकरण में बड़ा बदलव दिखेगा। यहीं नहीं चुनाव नतीजे भी प्रभावित हो जाएंगे।

दरअसल इस चुनाव में भाजपा के मजबूती का राज इसी को माना जा रहा है। नामांकन के समय  जो भाजपा कमजोर दिख रही थी, वह प्रचार के अंतिम चरण में बढ़ी जरूर लेकिन मतदान के दिन वह अचानक मुख्य संघर्ष में दिखने लगी। इसका कारण सपा, बसपा के वोटों में सेंघामारी का होना है।

राजनीतिक विश्लेषक डा. विनयकांत मिश्र का मानना है कि गत लोकसभा चुनावों में इन जमातों ने मोदी को वोट पोल किया था। वह कहते हैं कि इस बार मोदी लहर नही है, फिर भी अगर दस फीसदी वोट भी अपने परम्परागत दल को छोड़ भाजपा के साथ गये होंगे तो नतहजे दूरगामी होंगे।

 

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