… तो क्या पंचायत चुनावों में कांग्रेस, भाजपा का सूपड़ा साफ होने जा रहा ?

October 13, 2015 7:47 AM0 commentsViews: 181
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नजीर मलिक

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पंचायत चुनावों में कांग्रेस का कहीं अता पता नहीं है। वह चुनावी गुबार में खो सी गई है। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी सोई हुई लग रही है। इसके दो दर्जन वर्कर दम खम से लड़ तो रहे हैं, मगर बड़े नेताओं के सक्रिय नहीं होने से वह परेशान भी है।

indभारतीय जनता पार्टी ने सभी 48 जिला पंचायत वार्डों पर उम्मीदवार उतार रखे हैं। इनमें रामपाल सिंह, सिद्धार्थ गौतम, वंदना पासवान, उदयपाल वर्मा जैसे तकरीबन 20 उम्मीदवार ऐसे है जिन्होंने अपन वार्डो में पूरा दम खम लगा रखा है।

बसपा में मुहम्मद मुकीम, सैयदा मलिक, बसपा जिलाध्यक्ष गौतम आदि कई कदृदावर नेता अपने उम्मीदवारों के समर्थन में जी जान से लगे हैं। दूसरी तरफ सपा में विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, राम कुमार उर्फ चिनकू यादव, विधायक विजय पासवान, पूर्व विधायक लालजी यादव वगैरह गांव गांव की धूल फांक रहे हैं।

इसके बरअक्स भाजपा के कदृदावर नेता चुनावी परिदृष्य से गायब हैं। सांसद जगदम्बिका पाल, विधायक जय प्रताप सिंह को चुनाव क्षेत्रों में न देखना आश्चर्यजनक है।भाजपा जिलाध्यक्ष का कद इतना बड़ा नहीं है कि वह पूरे जिले में अपना प्रभाव डाल सकें।

कई उम्मीदवारों का कहना है कि अगर बड़े नेता उनके वार्डों में कुछ समय देते, तो वह भारी मतों के साथ् चनाव जीत कर आ सकते थे। इस चुनाव में भाजपा नेताओं को देख कर कहीं से ऐसा नहीं लग रहा कि यह वही कैडर बेस पार्टी है, जिसके नेता संकट में सबसे अधिक एकजुटता दिखाते हैं।

जहां तक कांग्रेस का सवाल है, पार्टी नेता अतहर अलीम के पिता अब्दुल अलीम एक मात्र उम्मीदवार है जो अपना चुनाव जीतने का माृदृदा रखते हैं। इसके अलावा किसी अन्य की कोई संभावना नहीं दिख रही। स्वयं जिलाध्यक्ष ठाकुर प्रसाद तिवारी के बेटे की सीट फंसी हुई है।

कांग्रेस जिलाध्यक्ष, पूर्व विधायक ईश्वर चन्द्र शुक्ल, पूर्व विधायक पप्पू चौधरी आदि भी चुनाव प्रचार से परहेज रखे हुए हैं। कांग्रेस कार्यकर्ता पूरी हताशा में लड。 रहे है। उन्हें एक अदद बडे नेता की शिदृदत से दरकार है।

सियासी जानकारों के मुताबिक इस चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाये तो ताज्जुब नहीं, लेकिन भालपा की दुर्गति भी यकीनी है। हालांकि भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंन्द्र मणि त्रिपाठी कहते है कि इस चुनाव में भाजपा जीत कर निकलेगी, लेकिन उनकी बातों में विश्वास कम उत्साह अधिक दिखता है।

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