डुमरियागंजः सपा के पक्ष में लामबंद होने लगा अल्पसंख्यक और वंचित तबका

February 21, 2022 12:38 PM0 commentsViews: 759
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जिप्पी तिवारी के मैदान में उतरने से बसपा के अशोक तिवारी की पोजीशन हुई बेहतर, भाजपा ध्रुवीकरण के प्रयास में

अगले सप्ताह डुमरियागंज में ओवैसी की कई जनसभाओं के बाद राजनीतिक परिदृश्य के और स्पष्ट होने की संभावना

 

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज में बसपा टिकट वितरण के बाद लगे झटके से उबरती लग रही है। विधानसभा क्षेत्र का अल्पसख्यक और वंचित तबका धीरे धीरे सपा के पक्ष में लामबंद होने लगा है। लेकिन सभी के सामने अभी भी भितरघात का संकट है। पूरे क्षेत्र में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि स्वयं अखिलेश यादव की बिरादरी के वोटरों का अभी भी सपा प्रत्याशी सैयदा खातून को वांछित समर्थन नहीं मिल रहा है। हालांकि इस अंदरूनी घात की काट के लिए सपा के कई स्थानीय नेता जी जान से प्रयास में लगे हुए हैं।

जिप्पी तिवाी के मैदान में आने से बदल गई तस्वीर

बता दें कि सपा से सैयदा खातून के टिकट की घोषणा होते ही डुमरियागंज सपा में भूचाल आ गया था। सपा के दो धड़ों को यह घोषणा बिलकुल ही रास नहीं आई थी। सपा के पूर्व प्रत्याशी राम कुमार चिनकू यादव और शिवपाल यादव के करीबी कमाल यूसुफ के खेमे ने इस फैसले का खुला विरोध किया। बाद में कमाल युसुफ के पुत्र इरफान मलिक एमिम के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर पड़े और चिनकू यादव वक्त की नजाकत को समझते हुए खामोश हो गये, मगर जानकार बताते हैं कि सार्वजनिक रूप से खामोशी अख्तियार करने के बाद भी चिनकू यादव के समर्थक विशेष कर यादव वर्ग सैयदा खातून का अंदरूनी विरोध कर रहे हैं। इस बात की जानकारी अखिलेश यादव को भी दे दी गई है।

यादवों को मनाने के लिए स्थानीय सादव नेता जुटे

इतना सब होने के बाद भी हवा का रुख पलटने लगा है। प्रदेश में समाजवादी पार्टी की हवा देख् कर क्षेत्र का मुस्लिम मतदाता शनैः शनेः सपा के पक्ष में झुकने लगा है। इसके अलावा सपा के अन्य कई स्थानीय यादव नेता सैयदा के पक्ष में यादवों को खांचने के लिए सक्रिय हो गये है। जो यादव वोटरों को यह बताने में लगे हैं कि अगर सैयदा खातून का विरोध किया तो वह अखिलेश का विरोध साबित होगा। धीरे धीरे ही सही, यह बात उनके समझ में आने भी लगी है। मगर अन्य स्थानों की तरह शत प्रतिशत यादव सैयदा खतून को वोट पोल कर ही देगा, इसमें संदेह है। फिलहाल दिन ब दिन सपा के समर्थ्न में निरंतर वृद्धि हो रही है, इसमें कोई शक नहीं। दूसरी तरफ मलिक इरफान के पक्ष में अगले सप्ताह बैरिस्टर ओवैसी की कई सभाएं आयोजित हैं। सैयदा खतून  का खेमा उनकी इस सक्रियता के खिलाफ क्या रणनीति बनाता है, यह देखना भी उल्लेखनीय हागा। क्योंकि डुमरियागंज में कमाल युसुफ की राजनीतिक ताकत से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

त्रिकोणीय लड़ाई से सपा को राहत

डुमरियागंज में सपा के लिए सबसे राहत की बात यह है कि क्षेत्र में बसपा तेजी से आगे बढ़ रही है। जबसे तीन बार विधायक रहे भाजपा नेता जिप्पी तिवारी खुल कर अपने भाई अशोक तिवारी के पक्ष में मैदान में उतरे हैं बसपा अचानक लड़ाई में आ गई दिखती है। वह जितना आगे बढेगी भाजपा को ही क्षति पहुंचाएगी। इस प्रकार डुमरियागंज में त्रिकोणीय लड़ाई होना सपा के लिए राहत की बात मानी जा रही है। राजनीतिक पेक्षकों का कहना है कि सपा को जितनी क्षति इरफान मलिक से होगी, भाजपा को उतनी ही हानि मित्र संघ के राजू श्रीवास्तव से होगी। इसके अलावा कांग्रेस की कांती पांउेय भी गैर सपाई वोटों में ही सेंधमारी करने में सफल होंगी।

अगले सप्ताह पूरी तरह छंट लाएगा णुंधलका

कुल मिला कर डुमरियागंज का राजनीतिक परिदृश्य स्पष्ट होने लगा है। लड़ाई धीरे धीरे सिमट कर त्रिकोणीय रूप लेने लगी है। जो करीब आते आते और प्रखर व तीखी होती जाएगी। जो समाजवादी पार्टी के लिए राहत की बात है। वैसे भाजपा डुमरियागंज में योगी आदित्यनाथ की तर्ज पर प्रख हिंदुत्व आधारित भाषणबाजी कर चुनाव में हिंदू मतों के घ्रुवीकरण के पक्ष में लगी है परन्तु राजनीति के जानकार बताते हैं कि इस बार ध्रुवीकरण की राजनीति जोर नहीं पकड़ पा रही। यह वह टर्निंग प्वाइंट है जिसके आधार पर सपा के लिए संभावनाओं के द्धार खुलते प्रतीत होते हैं।

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