चिनकू यादव का टिकट कटा, कमाल यूसुफ भी धड़ाम, सैयदा को मिली साइकिल की सवारी

January 28, 2022 2:19 PM0 commentsViews: 2819
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बांसी को लेकर टिकट में पेंच फंसा, शोहरतगढ़ सीट को लेकर उग्रसेन सिंह और पूर्व अपना दल विधायक अमर सिंह के बीच कशमकश
कांग्रेस व भाजपा गठबंधन से कुर्मी उम्मीदवार देने के बाद सपा द्वारा भी कुर्मी प्रत्याशी पर दांव लगाना समझदारी नही

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। जिले की सबसे चर्चित विधानसभा सीट डुमरियागंज में सपा के टिकट को लेकर फैसला हो गया है। सपा ने अपने पिछले प्रत्याशी राम कुमार उर्फ चिनकू यादव का टिकट जहां कट दिया है वहीं शिवपाल यादव से समझौते के बाद उनके करीबी समझे जा रहे मलिक कमाल यूसुफ को भी टिकट से वंचित कर उन्हें करारा झटका दे दिया है। इस सीट पर बसपा छोड़ कर सपा में आईं सैयदा खातून पर इस बार अखिलेश यादव ने दांव लगाया है। देखना है कि इस बार उनका यह दांव कितना कारगर बैठता है। दूसरी तरफ शोहरतगढ़ सीट को लेकर पुराने प्रत्याशी उग्रसेन सिंह और अपना दल छोड़ सपा में आये विधायक अमर सिंह के बीच जबरदस्त रस्साकशी चल रही है

उम्मीदवार को ध्यान देना होगा

सैयदा को टिकट मिलने के बाद डुमरियागंज में राजनीतिक हालात यकायक बदल गये हैं। गत चुनाव में चंद वोटों से हारने वाली सैयदा खातून को लगभग 20 हजार मत बसपा के कोर वोटरों का था। उसे निकालने के बाद सैयदा के पास मात्र चालीस हजार मत बचते हैं जिसमें पूर्व मंत्री मलिक कमाल युसुफ का जनाधार भी शामिल था। मान लिया जाये कि कमाल यूसुफ का जनाधार उन्हें प्राप्त भी हो जाये तो भी उन्हें भाजपा प्रत्याशी को पूर्व में मिले मतों के (67 हजार) की बराबरी के लिए कम से कम 25 हजार मतों की व्यवस्था करनी पड़ेगी। इसकी भरपाई सपा के गत चुनाव के प्रत्याशी चिनकू यादव को मिले लगभग 52000 हजार मतों में से आधा वोटों को प्राप्त कर की जा सकती है।

परन्तु सवाल है कि उन मतों में से कितना मत ट्रांसफर होकर सैयदा के पास आयेगा। इसके अलावा एक सवाल यह है कि क्या कमाल यूसुफ इस बार भी अपने मतदाताओं को सैयदा के तरफ ट्रांसफर करायेंगे? जानकार बताते हैं कि इस बार ऐसा होना असंभव तो नहीं लेकिन कठिन जरूर है। ऐसे में सैयदा को मलिक कमाल यूसुफ व चिनकू यादव को हर हाल में मना कर स्थिति सामान्य बनानी होगी, वरना लड़ाई कठिन हो जाने का अंदेशा बना रहेगा।

शोहरतगढ़ को लेकर कशमकश जारी
शोहरतगढ़ से सपा के टिकट को लेकर लखनऊ में सपा हाई कमान के दिल में कशमकश जारी है। एक तरफ सपा के पूर्व प्रत्याशी उग्रसेन सिंह हैं तो दूसरी तरफ हाल में अपना दल छोड कर सपा में आये विधायक अमर सिंह चौधरी हैं। शोहरतगढ़ में कुर्मी मत 11 प्रतिशत है। यही सपा नेतृत्व के लालच की वजह हो सकती है। लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव को सोचना होगा की यहां से कांग्रेस ने कुर्मी उम्मीदवार पप्पू चौधरी के टिकट की घोषणा कर रखी है। दूसरी तरफ भाजपा व उसके सहयोगी दल अपना दल एस के टिकट के दावेदार क्रमशः सिद्धार्थ चौधरी व हेमंत चौधरी हैं। लिहाजा भाजपा गठबंधन से भी कुर्मी उम्मीदवार लगभग तय है।

अमर सिंह के साथ इनकम्बेंसी भी है
ऐसे में जानकार बताते हें अखिलेश यादव द्वारा सपा से भी कुर्मी उम्मीवार उतारना लाभप्रद होगा। लिहाजा अपने पुराने प्रत्याशी को ही चुनाव में उतारना समझदारी होगी। अभी चार दिन पूर्व सपा कार्यालय पर आये अमर सिंह का उनके जाने के बाद कार्यकर्ताओं ने जम कर विरोध किया। इससे महसूस होता है कि अमर सिह की छवि को देखते हुए सपा कैडर उनके सहयोग को तैयार नहीं है। यही नहीं जानकार उनके खिलाफ सत्ताजनित इनकम्बेंसी की बात भी करते हैं। फिलहाल जनता के बीच वह एक कमाऊ विधायक के रूप में चर्चित हैं। इसलिए उन पर दांव लगाना उचित न होगा।

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