exclusive– डुमरियागंज में हाथी की मस्त चाल पर कौन लगायेगा अंकुश?

February 23, 2017 4:45 PM0 commentsViews: 1264
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अजीत सिंह

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 “सिद्धार्थनगर जिले की डुमरियागंज सीट पर हाथी की चाल बहुत वजनदार है। अपने वालिद मरहूम तौफीक मलिक की विरासत सम्हालने के लिए तैयार बैठीं बसपा उम्मीदवार सैयदा मलिक इस चुनाव में एक पक्ष बन कर खड़ी हैं। उनके सामने सपा, भाजपा और पीस पार्टी के तीन दिग्गज मुकाबिल हैं। इनमें से सैयदा को चुनौती कौन देगा, यह अहम सवाल बना हुआ है।”

 जिले में सबसे ज्यादा चुनावी धूम डुमरियागंज सीट पर है। यहां पर पिछले चुनाव में अपने खानदानी प्रतिद्धंदी मलिक कमाल यूसुफ से हार गई थीं। बहुत कड़े मुकाबले में करीब डेढ़ हजार वोटों हार गई थीं। इस बार खानदान की दुश्मनी खतम है। सपा से टिकट कटने के बाद कमाल यूसुफ बसपा में शामिल होकर सैयदा के चुनाव संचालक बने हुए हैं। मलिक कमाल यूसुफ का जाती वोट इस चुनाव में बहुत अहमियत रखता है।

सियासी महारथी यह बात बखूबी जानते हैं कि डुमरियागंज की सियासत में इन दो परिवारों की मिलन एक बड़ी सियासी ताकत का बनना है। ऐसे में इस चुनाव में सैयदा मलिक जीत की दौड़ में साफ तौर पर एक पक्ष बनी हुई हैं। उन्हें शिकस्त देने के लिए दमदार प्रत्याशी सपा के चिनकू यादव, पीस पार्टी के अशोक सिंह व भाजपा के राघवेन्द्र प्रताप सिंह जबरदस्त अभियान छेड़े हुए हैं।

चिनकू यादव की दलील

यहां चुनावी मुद्दे गौड़ हो चुके हैं। यहां सभी प्रमुख उम्मीदवार बसपा से विरोध रखने वाले वोटरों को यही समझाने में लगे हैं कि बसपा/ सैयदा को वहीं हरा सकते हैं। समाजवादी पाटी के प्रत्याशी राम कुमार चिनकू यादव जनता को बता रहे हैं कि गत चुनाव में 41770 वोट मिले थे। वह पौने तीन हजार मतों से चुनाव हारे थे। वह लोगों से अपील करते हैं कि अगर बसपा को हराना है तो लोग हमारे साथ जुड़ें। कयास लगाये जा रहे हैं कि बसपा के गजराज की राह में रोड़ा कौन बन सकता है, यह 25 को अखिलेश की रैली के बाद ही साफ हो सकेगा।

क्या कहते हैं अशोक सिंह

दूसरी तरफ पीस पार्टी के उम्मीदवार अशोक सिंह का खेमा भी दलीलों में पीछे नहीं है। यह खेमा लोगों को समझा रहा है कि पिछले चुनाव में यहां से पीस पार्टी के टिकट पर जीते थे, और पार्टी को धोखा देकर सपा में चले गये। यह खमा मुसलमानों से कहता है कि मुसलमान इस धोखे का बदला लें। वह फिर पीस पार्टी को वोट करें, बाकी जीत के लिए उम्मीदवार अशोक सिंह के  पास पर्सनल वोट भी बहुत हें। इसलिए बसपा को हम ही हराने में सक्षम हैं।

 भाजपा का नारा सलाम नहीं जय श्रीराम लाना होगा

पिछले चुनाव में भाजपा उम्मीदवार राघवेन्द्र प्रताप सिंह 25192 मत पाकर चौथे स्थान पर रहे थे। इस बार फिर वही मैदान में हैं। राघवेन्द्र ने चुनाव में उग्र हिंदुत्व को मुद्दा बनाया है। वह अपने प्रचार में साफ कहते हैं कि यहां कई दशक से ‘सलाम वालैकुम’ की राजनीति का बोलबाला रहा है। अबकी बार यहां जय श्रीराम वालों को जिताना होगा। उनके भाषणों का कितना असर होगा, यह देखना शेष है।

उपसंहार

फिलहाल डुमरियागंज में कड़ी लड़ाई जारी है। बसपा की सैयदा को हराने के लिए वोटों का जुगाड़ बनाने की कोशिशि भी जारी है। लेकिन गौरतलब है कि चुनाव में आर्थिक और अन्य संसाधनों का महत्व होता है। इस लिहाजा से सपा के चिनकू यादव और अशोक सिंह राघवेन्द्र के मुकाबले ज्यादा सक्षम हैं। इन हालात में बसपा विरोधी वोटरों की नजर में जो तगड़ा उम्मीदवार माना जायेगा, वही सैयदा को टक्कर दे सकेगा।

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