बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई ने असिस्टेंट प्रोफेसर पद से दिया इस्तीफा, भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे
नज़ीर मलिक
सिद्धार्थनगर। उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के छोटे भाई डॉ. अरुण द्विवेदी ने सिद्धार्थ विश्व विद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर पद से इस्तीफा दे दिया है। उन पर और अप्रत्यक्ष रूप से उनके बड़े भाई व मंत्री पर भ्रष्टाचार के कई गम्भीर आरोप थे। समझा जा सकता है कि उसी के चलते इस्तीफा दिया गया है। वैसे डॉ अरुण द्विवेदी ने भ्रष्टाचार के आरोपों से आहत होने तथा अपने अग्रज की छवि पर दाग न लगने देने की बात कह कर इस्तीफा दिया है। उनके इस कदम से सिद्धार्थनगर में तहलका मचा हुआ है।
अपने त्यगपत्र में अरुण द्विवेदी ने लिखा है कि उनकी नियुक्ति को उनके बड़े भाई से जोड़ कर देखा जा रहा है। शोसल मीडिया पर जिस शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है। मैं (डॉ. अरुण द्विवेदी) नही चाहता की इन सब बातों को लेकर बड़े भाई की छवि पर कोई आंच आये। इसलिए इतने महत्वपूर्ण पद इस्तीफा दे रहा हूँ।
बात दें कि डॉ.अरुण पर आरोप है कि वे आर्थिक रूप से पिछड़े (EWS) का प्रमाणपत्र बनवा कर ये नौकरी हासिल की थी। जिले में आम चर्चा है कि एक संयुक्त परिवार में एक भाई मंत्री हो, आवेदक स्वंय पूर्व में लगभग एक से डेढ़ लाख के बीच प्रति महीने वेतन पाता रहा हो, जिनकी पत्नी भी लाख रूपये से अधिक प्रति माह वेतन पाती है। यदि वे आर्थिक रूप से कमज़ोर के आरक्षण की श्रेणी में आते हों तो यह बात आम आदमी को हज़म नही होती।
इस मामले को सुर्खियों में लाने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी और एक्टिविस्ट अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर कहते है कि द्विवेदी परिवार करोड़ों का स्वामी है। उनके कुछ दस्तावेज़ मिल चुके हैं, शेष की छानबीन जारी है। नूतन ठाकुर ने तो तीन दस्तावेजों को अपनी फेसबुक वॉल पर जारी भी कर दिया है। इसके बाद से यहां राजनैतिक हलकों में तूफान मच गया है।
हमारे इटवा क्षेत्र के रिपोर्टर आरिफ मकसूद के अनुसार इस संबंध में डॉ. अरुण द्विवेदी का कहना है कि मंत्री जी के न रहने पर क्षेत्र के सारे मामले वही देखते है। मैं सिर्फ मंत्री का भाई हूँ। मेहनत से नौकरी पाई है। लेकिन भाई की छवि को खंडित करने के दुष्प्रयास में उनके लिए कुछ भी कर जाना मेरे जैसे भाई का नैतिक कर्तव्य बन जाता है।