बहराइच से छूटते ही गोरखपुर में दुबारा गिरफ्तार किए गये डा. कफील
मनोज कुमार सिंह
गोरखपुर। डा. कफील के परिजनों के अनुसार 23 सितम्बर की दोपहर उनके बसंतपुर स्थित घर पर छापा मारा गया। पुलिस ने पूरे घर की तलाशी ली और अदील अहमद को अपने साथ लेती गई। परिजनों के अनुसार पांच पुलिस कर्मी वर्दी में थे जबकि शेष पुलिस कर्मी बिना वर्दी के थे। डाण् कफील को बहराइच में धारा 151 में जमानत मिलने के बाद उन्हें गोरखपुर पहुंचते ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। परिजनों ने कहा कि पुलिस कर्मी कह रहे थे कि डा. साहब बहुत बोल रहे हैं।
सीओ कैंट प्रभात राय और सीओ कोतवाली वीके सिंह ने 23 सितम्बर की शाम को प्रेस कांफ्रेंस कर डॉ कफील और उनके भाई अदील खान की गिरफ्तारी की जानकारी दी। डा. कफील और उनके बड़े भाई अदील अहमद को जिस मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया है वह दो जुलाई 2018 को दर्ज किया गया था। यह केस राजघाट थाना क्षेत्र के शेखपुर निवासी मुजफ्फर आलम की तहरीर पर दर्ज किया गया था।
मुजफ्फर आलम ने आरोप लगाया था कि उसके फोटो और फैजान नाम के शख्स के ड्राइविंग लाइसेंस का इस्तेमाल कर अदील अहमद खान ने यूनियन बैंक की सुमेर सागर शाखा में वर्ष 2009 में फैजान के नाम से खाता खुलवाया और दो करोड़ का ट्रांजेक्शन किया। जब उन्हें पता चला तो उन्होंने 2014 में बैंक में आवेदन देकर खाता बंद कराया।
चार वर्ष बाद मई 2018 में उन्होंने एसएसपी को आवेदन देकर इस मामले की शिकायत की। एसएसपी शलभ माथुर ने इसकी जांच सीओ कोतवाली को सौंपी। जांच के बाद एसएसपी के आदेश पर अदील अहमद और फैजान पर मुकदमा अपराध संख्या 558ध्18 धारा 419ए 420ए 467ए 468ए 471ए 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
बाद में विवेचना के आधार पर डा़ कफील का नाम भी इसमें जोड़ दिया गया। पुलिस का कहना है कि इस खाते से वर्ष 2009 में मनिपाल विश्वविद्यालय में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे डा. कफील के फीस ;81ए28ए100द्ध का भुगतान ड्राफ्ट के जरिये किया गया था। इसलिए उनके खिलाफ साजिश रचने की धारा 120 बी लगाई गई।
यहां बताना जरूरी है कि दोनों भाइयों के खिलाफ यह केस तब दर्ज किया गया जब डा़ कफील ने अपने छोटो भाई पर कातिलाना हमले के मामले में भाजपा सांसद कमलेश पासवान पर आरोप लगाया था। उन्होंने गोरखपुर पुलिस पर भी इस मामले में जानबूझकर कोई कार्रवाई न करने का आरोप लगाया था।
डा. कफील को बीआरडी मेडिकल कालेज के आक्सीजन कांड में दो सितम्बर 2017 को गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ पुलिस ने 409ए, 308ए,120 बी आईपीसी के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है। वह अप्रैल 2018 में हाईकोर्ट से जमानत मिलने पर रिहा हुए थे। रिहा होने के बाद पूरे देश में उन्हें विभिन्न संगठनों द्वारा बोलने के लिए बुलाया जा रहा है। वह अपने वक्तव्यों में अपने साथ हुई घटना के साथ.साथ देश की स्वास्थ्य सेवा और नीति की भी आलोचना कर रहे है। वह गोरखपुर में विभिन्न स्थानों पर मेडिकल कैम्प आयोजित कर लोगों विशेष कर बच्चों का इलाज भी कर रहे थे।