मां के जयकारे के साथ जिले भर में दुर्गा प्रतिमाएं विसर्जित, प्रशासन ने ली राहत की सांस
नजीर मलिक
दस दिन के भक्तिपूर्ण उत्सव के बाद शक्ति की प्रतीक मां अम्बे की की प्रतिमाएं जिले के तमाम इलाकों में शांति एवं भक्तिपूर्ण माहौल में विसर्जित कर दी गर्इ्रं। मुहर्रम और दुर्गापूजा तकरीबन साथ होने के कारण प्रशासन पर सुरक्षा को लेकर भारी दबाव था।
दुर्गापूजा के अवसर पर गुरुवार शाम से ही जिले के डुमरियागंज, बांसी, शोहरतगढ़, बढ़नी, इटवा आदि हर कस्बे में उत्सव का माहौल था। लोग पूरी आस्था से मां के जयकारे के साथ प्रतिमा विसर्जन में मशगूल रहे। कार्य्रक्रम शुक्रवार सुबह पांच बजे तक चला।
सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय पर सायं पांच बजे के बाद डोले उठने शुरू हो गये। रात्रि 9 से 10 बजे के बीच सारे डोले सिद्धार्थ चौक पर जमा हुए। इसके बाद डोलों ने नगर भ्रमण किया।
हर डोलों के साथ उनकी कमेटी के सदस्य खास कर नौजवान आस्था में झूमते हुए नाच रहे थे। पूरे शहर में केवल जयकारों का ही शोर था। पुलिस चप्पे चप्पे पर मौजूद थी।
रात्रि में डाोलों की रवानगी जमुआर नदी की ओर हुर्इ्र।खबर है कि भोर तक नदी पर विसर्जन का कार्य चलता रहा। लोग सारी रात आस्था और शक्ति के सागर में गोते लगााते रहे।
डुमरियागंज में शाम 6 बजे मंदिर तिराहे पर रावण दहन के बाद से डोलों का उठना शुरू हुआ। डुमरियागंज और बांसी में प्रतिमा विसर्जन राप्ती नदी के तट पर हुआ। सारी रात मशक्कत करने के बाद पुलिस को भी आखिर सुबह पांच बजे ही सुकून मिला।