एक्जिट पोल से सत्ता समर्थकों में जोश, विपक्षी खेमें में बेचैनी व हलचल

May 20, 2019 12:53 PM0 commentsViews: 2520
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अजीत सिंह

सिद्धार्थनगर। मीडिया के विभिन्न संस्थानों एवं प्रमुख सर्वे एजेंसियों द्वारा मतदान के दौरान किये गये सर्वेक्षण की घोषणा के पश्चात सत्ता पक्ष के समर्थकों में जोश का माहौल है। जबकि बेहद जोश में दिख रहे बिपक्षी नेताओं व समर्थकों में एक्जिट पोल के नतीजे के बाद बेचैनी व हलचल देखी जा रही है।

बता दें कि सर्वे में जुटी आधा दर्जन प्रमुख एजेंसियों ने अपने सर्वे में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को 285 से 336 सीटें मिलने की संभावना जतायी है। यही नही उसने कांग्रेस गठबंधन को 82 से 165 सीटें मिलने की संभावना व्यक्त की है। इसके अलावा एजेंसियों ने सपा बसपा गठबंधन को 22 से 40 सीटें मिलने की बात कही है। इसके बाद से विपक्षी खेमें में बेचौनी देखी जा रही है। जबकि सत्ता पक्ष के खेमें में हर्ष का माहौल है।

यहां बताना जरूरी है कि डुमरियागंज संसदीय सीट पर भाजपा के जगदम्बिका पाल व बसपा के आफताब आलम के बीच कड़ा मुकाबला देखा जा रहा था परंतु ब्राम्हण मतदादाओं के रूझान से लग रहा है कि कांग्रेस के डा. चन्द्रेश खामोशी से लड़ाई को त्रिकोणीय रूप दे दिये हैं। 12 मई को मतदान होने के बाद स्थानीय सीट पर बसपा का पलड़ा भारी माना जा रहा था। लेकिन एक्जिट पोल ने यहां बसपा व कांग्रेस के खेमें में बेचैनी बढ़ा दी है। दोनों पार्टियों के समर्थकों द्वारा संसदीय क्षेत्र में बूथवार आकलन पुन: शुरू कर दी गई है।

इस बारे में कांग्रेस नेता व जिला पंचायत सदस्य अतहर अलीम का कहना है कि आम तौर से ये सर्वेक्षण गलत होते हैं मिशाल के तौर पर 2004 के एक्जिट पोल में भाजपा और अटल बिहारी की जीत बतायी गयी थी मगर जब मतगड़ना हुई तो कांग्रेस विजेता बनकर निकली। असल में इन एजेंसियों के सैंपुल बहुत छोटे होते है, जिससे पूरा सच सामने नहीं आ पाता है।

इस बारे में बसपा नेता व पूर्व जिलाध्यक्ष शेखर आजाद का कहना है कि भाजपा हारी हुई बाजी को जीतने के लिए मनोवैज्ञानिक युद्ध कर रही है। एक्जिट पोल से पहले देश विदेश की किसी भी मीडिया या सर्वे एजेंसी ने सपा बसपा गठबंधन को 50 से कम सीटें मिलने की बात नहीं कह रहीं थी। ऐसे में आज गठबंधन को 22 सीटें मिलने की संभावना जताने का मकसद साफ है कि कहीं कुछ गड़बड़ है। फिलहाल गठबंधन के शीर्ष नेतागण मतगणना की प्रतीक्षा में है। मेरा मानना है कि युपी में गठबंधन हारता है तो सरकार की साजिश से इंकार नहीं किया जा सकता। फिलहाल मतगणना का इंतजार कीजिए, उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

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