इंसफेलाइटिस: ज़िला अस्पताल मत आना मरीज़ों, मारे जाओगे

August 20, 2015 12:57 PM0 commentsViews: 232
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संजीव श्रीवास्तव

JAPANI-new

“इंसफेलाइटिस मरीज़ों के सिद्धार्थनगर ज़िला अस्पताल जाने का एक ही मतलब है कि वह मरीज़ मौत के और करीब पहुंच चुका है। मुमकिन है कि ज़िला अस्पताल से उसकी लाश निकले या फिर मरी हुई हालत में वह गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया जाए। अस्ताल में स्टाफ की कमी और इस बीमारी से जुड़े आंकड़े कम से कम यही कहते हैं।”

ज़िले भर के अस्पतालों में इस साल कुल 54 मरीज़ पहुंचे जिनमें 12 की मौत हो चुकी है। वहीं ज़िला अस्पताल में 12 मरीज़ आए और 1 बच्चे की मौत हुई। छह मरीज़ों को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया और पांच की हालत बिगड़ती जा रही है। मगर जापानी बुखार के हमले की अभी महज़ शुरुआत हुई है। इस बीमारी का असली अटैक धान की फसल तैयार होने के बाद शुरू होता है जोकि अभी होना बाकी है।

मगर अहम सवाल इस बीमारी से दो-दो हाथ करने की तैयारी का है। इसकी तफ्तीश के लिए कपिलवस्तुल पोस्ट के रिपोर्टर सिद्धार्थनगर ज़िला अस्पताल पहुंचे। रिपोर्टर के मुताबिक जापानी बुखार के मरीज़ों की देखरेख के लिए सिर्फ एक डॉक्टर संजय चौधरी को तैनात किया गया है। संजय चौधरी ज़िला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ हैं जिन्हें दिमागी बुखार के सभी मरीज़ों के लिए 24 घंटे तैनात रहना होगा।

किसी पेशेवर व्यक्ति के लिए हर दिन 24 घंटे की ड्यूटी एक अमानवीय व्यवस्था है। मुमकिन है कि डॉक्टर अपनी सेवाएं देते-देते खुद डिप्रेशन का शिकार हो जाएं। ऐसे में सिद्धार्थनगर ज़िला अस्पताल पहुंचने वाले मरीज़ों का क्या हाल होगा, इसका अंदाज़ा खुद लगाइए। नेताओं की तर्ज़ पर ज़िले के अफसर भी वादाख़िलाफी ख़ूब करते हैं। दो महीने पहले ज़िला स्वास्थ्य समिति ने इस वार्ड के लिए संविदा पर 20 स्टाफ नर्स और चार बाल रोग विशेषज्ञों की तैनाती का प्रोगाम बनाया था, जो सिर्फ एक प्रोग्राम बनकर रह गया।

एक डॉक्टर की तैनाती की गंभीरता खुद मुख्य चिकित्सा अधीक्षक भी समझते हैं। कपिलवस्तु पोस्ट से उन्होंने कहा कि किसी तरह व्यवस्था चलाई जा रही है। स्टाफ की कमी पूरे अस्पताल में है।

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