फाइटर कुनबे के दुर्गेश सिंह “चंचल” ने कहा मेरे जीवन का लक्ष्य सेवा है
30 अगस्त 1942 में फिरंगियों की गोली से शहीद हुए थे 10 जाँबाज, 37 जाँबाज हुए थे घायल
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। राष्ट्रपिता महत्मा गांधी के अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन के आह्वान पर पूरा देश उठा खड़ा हुआ था। इसी दौरान मेरे पैतृक गांव तरियानी छपरा में अंग्रेजों से मुकाबला करते समय 10 जाँबाज शहीद और 37 वीर जख्मी हो गए थे। आज भी वह घटना मेरे परिवार के दिलो दिमाग़ में ताजा है।
यह बातें तरियानी छपरा कुनबे के जाँबाज शहीदों के राजकुमार दुर्गेश सिंह “चंचल” ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के द रियल फाइटर हमारे दादा नवजात सिंह और परदादा श्यामनन्दन सिंह थे। जिनके वीरता की कहानी भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने अपनी आत्मकाथा में लिखी है।
श्री चंचल ने बताया कि मेरे पिता कैप्टन कौशलेद्र सिंह है और नाना स्व. बंधु सिंह के प्रपौत्र गंगा थे। हमारा कुनबा ही देश की आजादी में महती भूमिका निभाया था। अब मैने अपने जीवन का उद्देश जनसेवा करने क बनाया है इसमें मेरी पत्नी पूनम सिंह मेरा भरपुर सहयोग करती है और हमलोग नशा मुक्ति समाज की स्थपना करने का लक्ष्य बनाया है।
बता दें कि श्री चंचल पूर्वांचल के केंद्र विन्दु गोरखपुर में पिछले 11 सालों से नशा मुक्ति केंद्र चलाते है। केंद्र में नशेड़ी लोगों को भरती कर उन्हें नशा मुक्त जीवन यापन करने की सुगम सलाह देते हैं।