मुस्लिम समाज को शिक्षित बनाने के लिए संगठित प्रयास करना पड़ेगा– डा. वहाब

April 7, 2018 4:00 PM0 commentsViews: 365
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— मुस्लिम समाज फिजूलखर्ची रोक दे, पूरे जिले के बीमारों की दवा मुफ्त मुमकिन  हो सकती है– मौलाना कासमी

अनीस खान

कान्फ्रेंस में बोलते हुए डा. अब्दुल वहाब

बांसी, सिद्धार्थनगर। -आज रहीमिया पब्लिक स्कूल कैंपस में सामाजिक संगठन फ्यूचर ऑफ इंडिया द्वारा इस्लाह-ए-मोआशरा (समाज सुधार) कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसमें समाज में आ रही गिरावट और उसमें फैले ढकोसलों, फिरकापरस्ती, आदि मुद्दों पर चर्चा हुई। कान्फ्रेंस में शामिल  लोगों ने समाज में शिक्षा पर ज्यादा जोर दिया।

कान्फ्रेंस में शिक्षा के महत्त्व पर बोलते हुए मुख्य वक्ता डॉक्टर अब्दुल वहाब ने कहा कि जब हमारा समाज बेसिक शिक्षा पर ही जोर नहीं दे रहा है तो उच्च शिक्षा में गिरावट आना स्वाभाविक है । व्यक्तिगत तौर पर कुछ लोग अपने बच्चों को बहुत अच्छी शिक्षा दे रहे हैं, लेकिन पूरा समाज शिक्षित हो इसके लिए हम सबको मिलकर सामूहिक प्रयास करना होगा । उन्होंने कहा ताकि हमारे बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर प्रशासनिक सेवाओं में जाए और अपने समाज के साथ-साथ देश की सेवा कर सकें।  इसके लिए हर ब्लॉक में जो शिक्षित मुसलमान हैं उन्हें संगठित होना होगा और फंड की व्यवस्था भी करनी होगी

इस मौके पर मौलाना हिदायतुल्लाह कासमी ने कहा कि आज हम कुरान और सुन्नत के खिलाफ जाकर अपनी झूठी शान के लिए शादियों में तमाम फिजूलखर्ची कर देते हैं।  अगर इस जिले के मुसलमान फिजूलखर्ची को रोक कर उस पैसे को लोगों के स्वास्थ पर खर्च कर दें तो पूरे जिले के तमाम इंसानों को मुफ्त में दवा उपलब्ध करवा सकता है। अगर इस पैसे को मुल्क और मिल्लत की भलाई पर खर्च कर दे तो मुसलमानो के बारे में लोगों के सोचने का नज़रिया बदल जाएगा।लेकिन अफ़सोस मुसलमान अपने पैसे को ऐसी हराम जगह खर्च कर रहा है कि उसे दुनिया में तो इज़्ज़त मिल नहीं रही है और अल्लाह के वहां भी इसकी सज़ा मिलना तय है

अंत में फ्यूचर ऑफ इंडिया के संस्थापक मजहर आजाद ने कहा कि आज सांप्रदायिकता अपनी चरम सीमा पर लेकिन इसके जिम्मेदार हिंदू नहीं बल्कि खुद मुसलमान है । भारत के किसी भी हिस्से में सरकार या प्रशासन ने मुसलमानों पर जब भी अत्याचार किया है तो इस देश के अमन पसंद हिंदू भाइयों ने हमारा साथ दिया हमारे लिए कोर्ट से लेकर सड़क तक लड़ाई लड़ी, कई बार लाठियां खाई। उनपर मुकद्दमे भी दर्ज हुए लेकिन फिर भी वह डटे रहे। लेकिन जब कहीं किसी हिंदू अत्याचार हुवा तो मुसलमान तमाशाई बन गया । जिस दिन मुसलमान किसी भी इंसान पर होने वाले अत्याचार के विरुद्ध खड़ा  हो जाएगा उस दिन सांप्रदायिक शक्तियां दफन हो जाएंगी।

 

मोहम्मद अहमद ने कहा कि मुसलमान किसी दल का पिछलग्गू बनने के बजाए अच्छे विचारधारा के प्रत्याशियों का समर्थन करें और राजनीति को राजनीति नजर से देखें । कॉन्फ्रेंस का संचालन मोहम्मद शफ़ीक़ ने किया । मास्टर मोईद,जियाउर्रहमान, नईम अहमद, ज़ाहिद अली, हामिद मेकरानी, नसीम अहमद, डॉ गयासुद्दीन, मोहम्मद इरफान बाकर, डॉ अरशद, मौलाना करीम, मौलाना अमीर अहसन,  मोजाहिद शमसुद्दीन मुजीब अहमद क़ुरैश अहमद आदि के अलावा सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

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