Exclusive- सपा-बसपा गठबंधन से दरकिनार किये जा सकते हैं पीस पार्टी अध्यक्ष डा. अयूब

February 2, 2019 11:09 AM0 commentsViews: 3113
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नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। अगर आपको कोई ऐसी खबर मिले कि पीस पार्टी के अध्यक्ष डा. अयूब को सपा बसपा गठबंधन के तहत डुमरियागंज या संतकबीरनगर लोकसभा सीट नहीं दी गई, तो यह चौकाने वाली खबर नहीं होगी। आसार तो ऐसे बन रहे है कि उन्हें गठबंधन से कोई सीट नहीं मिलने जा रही। हां अगर वो अपना सिम्बल छोड कर लड़ना चाहें तो सपा उन्हें अपने सिम्बल पर लड़ा सकती है, वह भी बस्ती मंडल के बाहर की सीट पर। यह कपिलवस्तु पोस्ट का राजीनीतिक विश्लेषण है, जो लखनऊ के सियासी हालात के आधार पर है।

सपा बसपा गठबंधन के गलियारों में जो चर्चा है उसके मुताबिक डा. अयूब को गठबंधन से अलग थलग करने के कई कारण हो सकते हैं। उनमें प्रमुख कारण है, बसपा अध्यक्ष मायावती का पीस पार्टी अध्यक्ष डा. अयूब को पसंद न करना। इस नापसंदगी के चलते वह डुमरियागंज और संतकबीरनगर सीट पर गत चुनाव में  बसपा के दो नम्बर पर होने के आधार पर बसपा उम्मीदवार को लडाने पर अडी हुई हैं।

इधर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर संतकबीरनगर से सीट से दो सपाई भी टिकट के लिए दबाव बनाने में लगे हैं। डुमरियागंज सीट के लिए भी मायावती ने बसपा नेता आफताब आलम के लिए घोषित कर रखा है। वह एक मुस्लिम नेता का टिकट काट कर डा. अयूब के लिये सीट छोड़ने को तैयार नही हैं। वैसे भी इस सीट पर गत चुनाव में बसपा दो नम्बर पर रही थी। इसलिए उनका दावा भी मजबूत है।

यह है बड़ा कारण

दूसरी बात यह है कि गठबंधन के दोनों नेताओं का मानना है कि यदि गठबंधन के सहारे डा. अयूब संसद में पहुंच गये तो वह यूपी में मुस्लिम नेता बन कर पीस पार्टी का जनाधार बढ़ा सकते हैं, जिसका नुकसान सपा बसपा को ही होगा। क्यों कि मुस्लिम वोट माया व अखिलेश का बड़ा जनाधार है और कोई भी अपने जनाधार को कमजोर करना क्यों चाहेगा?

डा. अयूब के खिलाफ चार्जशीट भी वजह

डा. अयूब द्धारा गठबंधन से टिकट के लिए की जा रही आपाधापी में बदकिस्मती से एक और घटना हुई है जरे उनके खिलाफ जा रही है। लगभग 6 महीने पहले  बस्ती जिले में हुए “खुनचुसवा कांड” में पुलिस ने उनके खिलाफॅ चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस कांड में ब्लड बैंक से फर्जी रसीदों के जरिए कथित तौर पर खून का कारोबार किया जा रहा था, जिसमें पुलिस ने डा. अयूब को भी सह अभियुक्त बनाया है। सपा बसपा में डा. अयूब के खिलाफ यह दलील भी काम कर रही है।

तो डा. अयूब कहां से लड़ेंगे?

दरअसल डा. अयूब की प्रिय, बस्ती मंडल की दोनों सीट से उन्हें न लड़ाये जाने की पुख्ता दलील के साथ्र पृष्ठिभूमि तैयार कर दी गई है, मगर सूत्रों का कहना है कि डा. अयूब इन सीटों को छोड़ कहीं और से लड़ना चाहें तो अखिलेश यादव इतनी रियायत कर सकते हैं कि वह अपने सिम्बल पर किसी सीट से उन्हें उम्मीदवार बना दें। मगर पीस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में डा. अयूब ये शर्मनाक शर्त मानेंगे, इसमें संदेह है। इसलिए यह मान कर चलना होगा कि पीस पार्टी अध्यक्ष को अपना आशियाना अपने बल बूते बनाना होगा।  वैसे अगर गठबंधन से अलग होकर पीस अध्यक्ष डुमरियागंज से लडते है तो भी हालात अच्छे नहीं होंगे। गत चुनाव वे यही से लडे थे, और उन्हें 99242 थे और सही  वोट बसपा के मुहम्मद मुकीम की हार का मुख्य कारण बना था। देखना दिलचस्प होगा कि गठबंधन की राजनीति से लगभग बाहर दिख रहे डा. अयूब की आगे की रणनीति क्या होगी?

 

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