…और कोरोना संक्रमित बुजुर्ग ने सड़क किनारे तड़़प-तड़प कर तोड़ दिया दम

April 28, 2021 11:25 AM0 commentsViews: 442
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अजीत सिंह

गोरखपुर। गुर्दा रोग से पीड़ित एक बुजुर्ग को कोरोना संक्रमित होने के बाद गोरखपुर के किसी भी अस्पताल ने भर्ती नहीं किया और बुर्जुग ने सड़क किनारे तड़प-तडप कर दम तोड़ दिया। अंतिम संस्कार के लिए शव को राजघाट ले जाने के लिए भी परिजनों को शव वाहन के लिए तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ा।

पिपराइच के पिपरा बसन्त गोपालगुर निवासी 60 वर्षीय देवेन्द्र उपाध्याय गुर्दा रोग से पीड़ित हैं। वह 26 अप्रैल को पूर्वान्ह 11 बजे डायलिसिस के लिए गोरखपुर के सावित्री हास्पिटल पहुंचे। उनके साथ पत्नी, पुत्र जुगनू, भतीजा विक्रान्त उपाध्याय, पड़ोसी राहुल उपाध्याय थे। सावित्री हास्पिटल में उनका पहले कोविड-19 की जांच की गई जो पाजिटिव आयी। इसके बाद अस्पताल ने उनका डायलिसिस करने से मना कर दिया और दूसरे अस्पताल में ले जाने को कहा।

देवेन्द्र उपाध्याय के भतीजे विक्रान्त उपाध्याय ने बताया कि वे लोग दोपहर एक बजे एक रिक्शे पर देवेन्द्र उपाध्याय को बिठकार छात्र संघ चैराहा स्थित एक अस्पताल गए। अस्पताल ने आक्सीजन की कमी का हवाला देकर भर्ती करने से इनकार कर दिया। इसके बाद वे लोग यूनिवर्सिटी चौराहे पर पहुंचे। देवेन्द्र बुरी तरह हांफ रहे थे और उनकी सांस फूल रही थी। उन्हें सड़क किनारे फुटपाथ पर बिठाकर हम लोग अस्पतालों में फोन करने लगे।

बकौल विकांत, शासन-प्रशासन द्वारा जारी सभी नम्बर पर फोन किए गए। अधिकतर फोन नहीं उठे। जो फोन उठा वह तुरन्त काट दिया गया। निजी अस्पताल आक्सीजन की कमी का हवाला देकर भर्ती से इनकार करते रहे। बशारतपुर स्थित एक अस्पताल भर्ती करने को तैयार हुआ लेकिन उसने कहा कि वह आक्सीजन सपोर्ट नहीं दे पाएगा और मरीज के भर्ती होने के समय डेढ़ लाख रूपया जमा करना पड़ेगा।

विक्रान्त ने बताया कि हम लोग तीन घंटे तक असहाय बने सड़क किनारे देवेन्द्र उपाध्याय को को तड़प-तड़प कर मरते हुए देखते रहे। सभी सरकारी हेल्पलाइन को फोन करते रहे लेकिन कोई मदद नहीं मिली। आखिरकार देवेन्द्र उपाध्याय ने अपरान्ह चार बजे दम तोड़ दिया। देवेन्द्र उपाध्याय का सड़क किनारे पड़े एक वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ है जिसमें वह सांस लेने के लिए जूझते दिखाई देते हैं। उनके साथ के लोग उन्हें मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।

विक्रान्त ने बताया कि चाचा की मौत के बाद वे लोग शव वाहन के लिए फोन करने लगे। तीन घंटे बाद एक वाहन आया तो वे लोग शव को राजघाट ले गए और अंतिम संस्कार किया। विक्रान्त ने कहा कि यदि देवेन्द्र को अस्पताल में भर्ती कर लिया गया होता और उन्हें आक्सीजन व डायलिसिस की सुविधा मिल गई होती तो उनकी जान बच जाती।

 

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