इटवा में भाजपा कैंडीडेट सतीश द्धिवेदी के विरोध में बजा विद्रोह का बिगुल, सैकड़ों ने भाजपा छोड़ी, हरिशंकर पर निर्दल लड़ने का दबाव

January 23, 2017 6:26 PM0 commentsViews: 1181
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नजीर मलिक itwa

सिद्धार्थनगर। संतकबीर नगर की तर्ज पर सिद्धार्थनगर भाजपा में भी बगावत शुरू हो गई है। आज इटवा में भाजपा के उम्मीदवार सतीश द्धिवेदी को टिकट दिये जाने के विरोध में दर्जनों पदाधिकारियों और सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने पार्टी को छोड़ने का एलान कर दिया। बागी वर्करकरों ने भाजपा के खिलाफ जम कर नारेबाजी की।  वे पूर्व प्रत्याशी पर निर्दल चुनाव लड़ने का दबाव बना रहे हैं। आशंका है कि एक दो दिन में बगावत का स्वरूप और बड़ा होगा।

जानकारी के मुताबिक आज इटवा विधानसभा क्षे़त्र के सैकड़ों भाजपा वर्करों ने एक बैठक की, जिसमें भाजपा उम्मीदवार की आलोचना की गई। बैठक में आरोप लगाया गया कि एक अध्यापक जो गैरजनपद में अध्यापन करता है, कभी क्षेत्र में आया नहीं, उसे इटवा की जनता कभी स्वीकार न करेगी। बैठक में सतीश द्धिवेदी और भाजपा के खिलाफ जम कर नारेबाजी की गई।

   बैठक में कहा गया कि हरिशंकर सिंह पिछले २० सालों से इटवा में जनता की सेवा कर रहे हैं। सबके सुख दुख में शामिल होते रहे है। उन्होंने पार्टी के लिये बहुत त्याग किया है। उनका टिकट काट कर एक अनजाने आदमी को टिकट देने का मतलब है कि भाजपा में अब टिकाऊं की जगह बिकऊं राजनीति का कलचर पैदा हो गया है।

बैठक में ही लोगों ने भाजपा से त्यागपत्र लिखा। त्यागपत्र देने वालों में अरूण कुमार तिवारी संयोजक भाजयुमों खुनियाव, अनूप सिंह महामंत्री इटवा, दिलीप कुमार यादव मंडल अध्यक्ष, दिलीप श्रीवास्तव मंडल महामंत्री, मंउल महामंत्री प्रकाश चन्द्र  चौधरी, सुनील सिंह जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि, शिवजी तिवारी मंडल अध्यक्ष बिस्कोहर,  दिलीप श्रीवास्त, जिला मंत्री इटवा, इटवा मंडल महामंत्री अनूप सिंह, कृष्णा मिश्रा उपाध्यक्ष आदि के हस्ताक्षर रहे।

 हरिशंकर को निर्दल लड़ने की सलाह

बागी वर्करों ने इटवा के पूर्व भाजपा प्रत्याशी हरिशंर सिंह से निर्दल चुनाव लड़ने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। उन्होंने बातचीत में बताया कि अभी मै भाजपा में हूं। आगे क्या होगा, मुझे खुद पता नहीं। वैसे जन आंकलन के मुताबिक  जिेले में भाजपा की सबसे कमजोर उम्मीदवार भाजपा का माना जा रहा है। हरिशंकर सिंह की माने तो इस फैसले से पार्टी को यहां जमानत बचानी भी मुश्किल होगी।

 

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