October 18, 2015 12:41 PMViews: 580
नजीर मलिक
- यजीद के अन्याय के खिलाफ खड़े इमाम हसैन की मदद के लिए दत्त ब्रहृमणों की पूरी बटालियन इराक गई थी, लेकिन तब तक इमाम हसैन शहादत पा चुके थे। इसलिए हिंदुस्तानी फौज कूफा से भारत लौट गई। अगर पल्टन पहले पहुंची होती तो शायद कर्बला की कहानी कुछ और होती।
- पूरी घटना कुछ इस तरह है। ईरान के तत्कालीन सूसानी शासक जाजोजर्द की एक बेटी महरबानों की शादी उज्जैन के चालुक्य राजा चन्द्रगुप्त से हुई थी। शादी के बाद उनका नाम चन्द्र लेखा रख गया। मेहरबानों की दूसरी बहन शहरबानू की शादी हजरत इमाम हुसैन से हुई थी। सूसानी तब अग्नि के उपासक थे।
- बताया जाता है कि यजीद से जंग के आसार देख हजरत इमाम हुसैन ने चन्द्र गुप्त को मदद के लिए खत लिखा था। चन्द्रगुप्त का सेनापति पंडित भूरिया दत्त था। हजरत इमाम हुसैन को संकट में घिरा देख कर चनद्र गुप्त ने सेनापति भूरिया दत्त को फौज के साथ फौरन इराक रवाना किया गया।
- सन 680 में 11 अक्टूबर को उसकी पल्टन कूफा तक पहुंची थी, कि कर्बला से इमाम की शहादत की खबर आ गई। भूरिया दत्त का काफिला कुछ दिन कूफा में रुक कर भारत लौट आया। अगर पल्टन कुछ दिन पहले पहुंचती तो शायद कर्बला की कहानी कुछ और हो जाती।
- दूसरी तरफ एक और बहादुर ब्राहृमण रहाब दत्त भी अपने बेटाें के साथ कर्बला पहुंचा हुआ था। यजीदी फौजों ने रहाब दत्त के बेटों को मार दिया, तो इमाम हुसैन ने रहाब को भारत लौट जाने को कहा। रहाब और उनके साथी आकर पंजाब में बस गये। उस घटना के बाद दत्त ब्राहृमणों को हुसैनी ब्राहमण भी कहा जाने लगा।
- प्रसिद्ध लेखक इंतजार हुसैन अपने स्तंभ में लिखते हैं कि वह पहले इस घटना का कहानी ही समझते थे। मगर दिल्ली में एक सेमिनार के दौरान नूनिका दत्त नामक महिला प्रोफेसर ने बताया कि वह खुद हुसैनी ब्राहृमण हैं।
- समकालीन पत्रकार और लेख जमनादास अख्तर के मुताबिक वह खुद दत्त ब्रहमण है। उनके यहां अशूरा को शोक की तरह मनाते है। परिवार में खाना नहीं बनता है। फिल्म अभिनता संजय दत भी हुसैनी ब्राहृमण हैं। उनके पिता सुनील दत्त कहते थे कि उन्हें हुसैनी ब्राहृमण होने पर गर्व है।
- जाहिर है हुसैनी ब्राहृमणों का एक शानदार इतिहास है, जिस पर अभी बहुत शोध बाकी है। बकौल नवैद रिजवी इस इतिहास को बेहतर ढंग से उजाकर भारत में कौमी एकता की डोर को बहुत मजबूत किया जा सकता है।
9:37 AM
Bahut he important aur tahqiqi article hai
11:01 AM
Nice article.very much needed for indian society to understand the method how our forefathers maintained communal harmony.