एक दारोगा ऐसा भीः हाथों में गोली पिस्तौल है तो सीने में इंसानियत के लिए धड़कने वाला दिल

January 28, 2021 1:06 PM0 commentsViews: 2444
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नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। खाकी वर्दी को लेकर जनमानस में तमाम भ्रांतियां रहती हैं। जिनके चलते आमतौर पर समाज में पुलिस की छवि बेहद नकारत्मक बन जाती है। संचार माध्यमों ने उनकी छवि क्रूर और भ्रष्टाचारी की बना रखी है। लेकिन एक सामान्य पुलिसकर्मी के अंदर भी दिल होता है। धड़कता है और, मानवीय संवेदनाओं को लेकर सचेत भी रहता है। परन्तु पुलिस की अच्छाइयों को मीडिया अक्सर नजरअंदाज कर देती है।

खैर, बात जिले के त्रिलोकपुर थानाध्यक्ष रणधीर मिश्र की हो रही है, जो अपने पुलसिया कार्यशैली के बीच अपनी मानवीय संवेदनाओं के लिए भी जाने जाते हैं। जिसके फलस्वरूप उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने इस गणतंत्र दिवस पर उन्हें सेवा मेडल से नवाजा है। गत दिवस गणतंत्र दिवस समारोह पर जनपद में आयोजित पुलिस परेड में उन्हें यह पदक प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्धिवेदी के हाथों प्रदान किया गया।

संवेदनशीलता की चंद मिसालें

1997-98 बैच के दारोगा रणधीर मिश्र अपनी बीस साल की सेवा में मंडल के तीनों जिलों के अलावा कई जिलों में अपनी सेवायें दे चुके हैं, जहां उनके सामाजिक सरोकारों लोग अब तक याद करते है। बस्ती जिले की बात लीजिए, रुधैली थाने में उनकी तैनाती के दौरान एक गांव में बारात आनी थी। लेकिन बारात आने की पूर्व संध्या पर वधू पक्ष के घर में आग लग गई, जिससे लड़की के पिता का सब कुछ राख हो गया। लड़की के पिता की दुनियां अंधेरी हो गई। उसकी बेटी की शादी कल कैसे होगी, इस सवाल ने उसे मरणासन्न बना दिया। 

घटना की जनकारी एसओ रणधीर मिश्र को हुई। उन्होंने फौरन कुछ जागरूक लोगों से सम्पर्क किया। सभी लोगों ने कुछ न कुछ धन का योगदान दिया। फिर सब ने मिल कर पीड़ित परिवार के यहां आने वाली बारत के स्वागत के लिए टेंट लगवाए, बरातियों के भोजन नाश्ते का इंतजाम किया। यही नहीं लड़की और लड़के के लिए यथा संभव उपहारों का इंतजाम किया गया। उस शादी का आलम यह था कि जब लड़की दूल्हन बन कर विदा हो रही थी तो उस समय मौके पर मौजूद सारा गांव खुशी से रो रहा था।

सिद्धार्थनगर जिले की एक घटना तो और भी मर्मस्पर्शी है। तीन साल पूर्व खेसरहा थाने  में तैनाती के दौरान बेलौहां में एक किरायेदार युवक को कैंसर हो गया। छूआछूत के डर से मकान मालिक ने उसे बाहर निकाल दिया था। युवक के पास पैसे नहीं थे। इस घटना की जानकारी मिलते ही एसओ रणधीर मिश्र ने न सिर्फ गोरखपुर मेडिकल कॉलेज भेज कर इलाज कराया। बल्कि ईलाज के दौरान युवक की मृत्य हो जाने पर उसकी अर्थी को कंधा देकर अंतिम संस्कार कराया। इसी प्रकार संतकबीरनगर जिले के थानाध्यक्ष धनघटा के रूप में  उन्होंने पूर्वांचल के सबसे बड़े पशु तस्कर को मुठभेड में ढेर कर उसे गिरफ्तार किया। दोनों तरफ गोलियों के आदान प्रदान में दौरान वे खुद भी घायल हुए थे। यह दो वर्ष पूर्व की बात है। जिसके लिए उन्हें मेडल मिला

मेडल के असली हकदारः सहकर्मी

वर्तमान में रणधीर मिश्र सिद्धार्थनगर जिले त्रिलोकपुर थाने के थानाध्यक्ष हैं। जहां वे कोरोना काल में लोगों की मदद के लिए चर्चा में आये। गरीबों को भोजन आदि व्यवस्था कर लोगों को मदद करने के लिए अनथक कोशिश किया। यहां कृष्णा नाम का एक गरीब छात्र जो गांव से स्कूल सिर्फ दूरी के कारण नहीं जा पा रहा था। क्योंकि उसके पास आवागमन का साधन न था। ऐसे में उसके सामने पढ़ाई छूटने का खतरा हो गया था। यह खबर पाकर उन्होंने  कृष्णा को न  बाजार से केवल साइकिल खरीद कर दिया, बल्कि वे आज भी कृष्णा की जरूरत पर नजर रखते हैं।

दरोगा रणधीर के मानव सेवा की यह चंद बानगियां हैं। ऐसे कामों की एक लम्बी फेहरिस्त है जो उनके सर्विस जीवन में चस्पा हैं। ऐसे तमाम उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए डीजीपी ने उन्हें उत्कृष्ट सेवा मेडल प्रदान किया है। उनके सहकर्मी कहते हैं कि वास्तव में वह इसके असली हकदार भी हैं।

 क्या सोचते हैं रणधीर मिश्र

मानव सेवा की प्रेरणा उन्हें कहां से मिली या इंसानी मदद का जज्बा उनमें कैसे अंकुरित हुआ? इसके जवाब में एसओ रणधीर मिश्र बताते हैं कि उनकी पहली पोस्टिंग गोंडा जिले के नवाबगंज थाने के लकड़मंडी चौकी के चौकी प्रभारी के रूप में हुई थी। तब वहां के मुख्य मार्ग पर वाहन दुर्घनाएं काफी होती थीं। खबर पाकर वे घटना स्थल पर तत्काल पहुंचते और घायलों को खुद उठाते, उन्हें सांत्वना देते, अगर उपलब्ध हुआ तो मौके पर फर्स्ट एड भी देते। यह तो ईश्वर की कृपा है कि धीरे धीरे उनमें यह भावना बढ़ती गयी। अब तो इसमें शांति व सुकून मिलने लगा है। कपिलवस्तु पोस्ट से बात करते करते वे अध्यात्म की तरफ बढ़ जाते हैं, वे कहते हैं कि हम क्या हैं। लेकिन मान धर्म निभाने के लिए अमीरी की जरूरत नहीं होती। यदि हम सब अपनी कमाई से सौ , पचास रुपया  भी निकाल कर जरूरतमंद की मदद करें तो यही सबसे सच्ची पूजा/इबादत होगी और शुख शन्ति का मार्ग प्रशस्त होगा। तो आप सब भी बधाई दीजिए  खकी वर्दी के पीछे के इस इंसान यानी एसओ रणधीर मिश्रा जी को

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