इटवा में रेल टिकट के काला बाजरियों का नेटवर्क गलियों नुक्कड़ों तक फैला

September 3, 2020 2:32 PM0 commentsViews: 784
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—अनेक जनसेवा केन्द्र के मालिक महानगरों में जाने वाले मजदूरों को लूटने में लगे

आरिफ मकसूद

इटवा, सिद्धार्थनगर । स्थानीय कस्बे में रेल ई टिकट के जालसाजों का गिरोह पूरी तरह सक्रिय है। शहरी इलाकों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में चट्टी-चौराहों तक ‘इ रेल टिकट’ की कालाबाजारी का मकड़जाल फैल गया है। बेरोजगारी  के कारण  प्रवासी मजदूर  फिर से अपनी  रोजी रोटी के लिए  मुंबई- दिल्ली  आदि महानगरों में जाने को मजबूर हैं।  इसका गलत फायदा जनसेवा केंद्र  के मालिकों ने  उठाना शुरू कर दिया है।नतीजन आम आदमी को कंफर्म टिकट मिलना असम्भव सा हो गया है। जबकि वहां दोगुनी या तीगुनी रकम खर्च करने वाले को कंफर्म टिकट मिल जाता है। पिछले अगस्त महीने से लगातार मुंबई एवं दिल्ली जाने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या  बढ़ गई है  और यह जन सेवा केंद्र पर  दो हजार रुपए लेकर  तत्काल ई टिकट ग्राहकों को उपलब्ध कराते हैं।

आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर एक व्यक्ति एकाउंट पर टिकट बनाने की संख्या सीमित है, लिहाजा कई एकाउंट खोलकर अधिक से अधिक टिकट बनाकर ज्यादे दाम पर टिकट बेचने का धंधा जोरों पर है। इटवा ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र के चट्टी चौराहों पर भी दुकान या गुमटी में दो-चार कम्प्यूटर लगाकर टिकट की जालसाजी की जाती है। लोगों से मनमानी रकम लेकर टिकट दिए जाते हैं

 आरपीएफ की गिरफ्त में जालसाज आ रहे हैं। लेकिन इस धंधे पर अंकुश लगाने के लिए यह कार्रवाई ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। व्यापक तौर पर अभियान चला दिया जाए तो इटवा तहसील क्षेत्र के ग्राम संग्रामपुर  चौराहा, कमदालालपुर, मझौवा, खंडसारी, ऊंचडीह चौराहा, महादेव गुरुहू, इत्यादि जगहों पर स्थित जन सेवा केंद्र  के दुकानों में इस तरह के टिकट के धंधे सामने आ सकते हैं। रोजाना लाखों के टिकट के हेराफेरी होती है।

हालांकि हाल फिलहाल ऐसे मामलों में आरपीएफ की सक्रियता बढ़ गई है लेकिन यह काफी नहीं है। इसके लिए जिले स्तर पर भी आरपीएफ टीम को शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में औचक छापेमारी करना होगा। तभी गांव-गांव तक फैले इस मकड़जाल को कम किया जा सकता है

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