गुमराह करने वाले झूठ की चकाचौंध में विकास की असली सूरत नहीं देख पाये सीएम योगी

April 2, 2018 4:32 PM0 commentsViews: 1171
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नजीर मलिक

ब्लाक रोड पर प्रशासन द्धारा जबरन बंद कराई गई गरीबों की गुमटियां

सिद्धार्थनगर, यूपी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उठ़नखटोला अभी अभी सिद्धार्थनगर ये रवाना हुआ है। सीएमओ और थानाध्यक्ष अनिल पांडेय के को सस्पेंड करने के बाद भी सीएम साहब आसमानी फिजाओं के बीच खुश हो रहे होगे कि उनके एक साल के कार्यकाल में जिले की सूरत बदली और बेहतर हुई है। लेकिन सीएम योगी जी को यह शायद ही पता हो कि सरकारी कारिंदों ने मौके पर गुमराह करने वाले झूठ की इतनी चकाचौंध कर दी थी कि उसके पीछे विकास का कुरूप चेहरा देख पाने में वे नाकाम रहे और खुशफहमी में अफसरों की पीठ थपथपा कर रवाना हो गये।

दरअसल देश या प्रदेश की सत्ता प्रमुख जब कहीं दौरे पर जाता है तो उसकी मंशा जनता और उसकी हकीकत से रुबरु होने की होती है। इससे वह सच्चाई जानकर भविष्य की योजनाओं को अंजाम देता है, मगर यहां सरकारी करकुनों ने कुछ ऐसा किया कि सूबे के प्रमुख विकास की असली सूरत न देख सके और वे तमाम खुशफहमी लेकर वापस लौटे।

कैसे छुपाया गया विकास का असली सच

योगी आदित्यनाथ को शहर की मलिन बस्ती का निरीक्षण करना था। इसके लिए शेखनगर वार्ड की उस बस्ती को सजाया संवारा गया। बस्ती ही नहीं मेन रोड पर सभी गरीबों की गुमटियां प्रशासन ने बंद करवा दीं, जहां से यागी जी को गुजरना था। । चाय पान की दुकानें भी बंद कराई गई। नालियों की सफाई की गई। फटपाथों पर चूनाकारी की गई। और मुख्यमंत्री जी को एहसास कराया गया कि उनका जिला और जिले की मलिन बस्तियां किस प्रकार समस्या मुक्त हो गईं हैं। स्कूल चलो अभियान के तहत निकाले गये जुलूस में कान्वेंट स्कूलों के बेल ड्रेस्ड बच्चों को आगे कर यह साबित किया गया कि हमारी प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था कितनी सुंदर है।

काश सीएम साहब को सरकारी प्राइमरी स्कूल व उनके बच्चों से उनके असली रूप में रूबरू कराया होता, तो वे शिक्षा व्यवस्था का असली चेहरा देख कर उसे खूबसूरत बनाने की दिश में बेहतर सोच पाते। मगर ये सरकारी कारिंदे तो सदा ऐसे ही करते आ रहे हैं। सत्ता तो बदलती है, मगर कारकुन तो वहीं रहते हैं। काश कोई इन्हें ठीक कर पाता?

 

पानी के लिए सड़क के एक नल पर जूझते बच्चे

लहराता केसरिया और प्यासे बच्चों की व्याकुलता

योगी जी के मार्ग में पड़ने वाले शहर का आधे हिस्से में सड़क के दोनों ओर खंभों पर केसरिया ध्वज लहरा रहे थे। इसे बहुत शिद्दत से लहराने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन स्कूल चलो अभीयान के तहत कड़ाके की धूप में भूखे प्यासे 4 किमी पैदल चलने वाले स्कूली बच्चों के लिए पानी का कोई इंतजाम नहीं था। पानी का कोई एक नल दिखने पर बच्चे वहां टूट पड़ रहे थे। उन बच्चों की व्याकुलता की चिंता किसी को नहीं थी।  काश मुख्यतंत्री जी ने यह देखा होता, तो प्रशासन के कई चेहरों से नकाब उतरती और उनके खिलाफ कार्रवाई होती।

 

 

 

 

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