भावुक पलः  दस साल बाद बेटे इरफान मलिक के लिए वोट मांगने निकले कमाल युसुफ

February 14, 2022 3:02 PM0 commentsViews: 1292
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अपने प्रिय नेता को अपने गांव घर पाकर छलक उठीं ग्रामीणों की आंखें, लोगों ने सर पर हाथ फेर लीं कमाल यूसुफ की बलाएं

 

नजीर मलिक

कमाल यूसुफ मलिक के सर पर हाथ फेर कर दुआएं देता एक वोटर

सिद्धार्थनगर। समाजवादी आंदोलन का वह पुरोधा जिसकी राजनीतिक ताकत का लोहा खुद चौधरी चरण सिंह भी मानते थे, जिसके कारण उुमरियांज के खित्ते को कांग्रेस के दौर में समाजवादी गढ़ और मिनी बागपत कहा जाता था, कमाल यूसुफ नामक राजनीति के वहीं कद्दावर   पुरोधा कमाल यूसुफ मलिक दस साल की तड़प भरी चुप्पी के बाद कल फिर अपने बेअे इरफान मलिक के लिए वोअ मांगने निकले। इरफान एमिम से चुनाव लड़ रहे हैं।

राजनीति में पिछले एक दशक से खामोशी अख्तियार कर घर पर रह रहे कमाल युसुफ मलिक रविवार की सुबह दिनेश पांउेय, दिलीप गुप्ता, पप्पू दुबे, इकबाल मलिक फजैल मलिक अरशद, गुउ्उू पांडेय आद के साथ रवाना हुए। वे भुइगांवा, सागर रौजा अहिराडीहा, चकचई,  पिरैला आदि गांवों में मिलते हुए भानपुर रानी पहुंचे।इन गांवों में पुराने लोगों ने अपने प्रिय नेता को देख तो भावुक हो उठे। लोगों ने कहा कि उनके लिए दल का महत्व नहीं केवल कमाल यूसुफ का हम लोगों के घर आना बड़ी बात है।

इन लोगों से मुलाकात के दौरान अखिलेश यादव द्धारा उनके साथ की गई ज्यादतियों पर चर्चा हुई। अखिलेश ने जिस प्रकार पांच बार एमएलए और मंत्री रहे खांटी समाजवादी का लगातार तीन बार टिकट काटा उसे सुन कर लोग भावुक हुई। कइयों की आंखे छलछला उठीं। अनेक बुजुर्गों ने न सिफ उनके बेटे को वोट देने का वादा किया बल्कि भीगी आंखों से उनके सर पर हाथ फेर कर बलाएं लीं। पप्पू श्रीवातव के गांव में कई लोगों ने अति भावुक होकर समाजवादी पार्टी को दफन कर देने की बात कह कर अपने गुस्से का इजहार किया। कभी मुलायम सिंह के मजूत सिपहसालार माने जाने वाले राजनीति के इस पुरोधा को बुलुर्गी में घर से निकल कर अपने साथ हुईअलेश की सियासी ज्यादतियों की बात सुन कर लोगों में बहुत आक्रोश दिखा।

दरअसल 2012 में अखिलेश यादव ने कमाल यूसुफǃ का टिकट काट कर ख्निकू यादव को लड़ाया था तब कमाल यूसुफ पीस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर सपा में चले गये। मगर 2017 में सपा ने उन्हें फिर टिकट नहीं दिया।इस बार भी उनके बेटे इरफान मलिक टिकट के दावेदार थे मगर अहंकार में डूबे अखिलेश ने फिर वहीं खेल खेला। इसके बाद इरफान मलिक ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। दिनेश पांउेय कहते हैं कि अखिलेश ने हालांकि ओवैसी की पार्टी से टिकट लिया है, जिसका कोई जनाधार नहीं है। लेकिन हम नैतक बल और अखिलेश की सियासी गद्दारी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। 2012 में इसी कारण हमने सपा को हराया था और इस बार भी कमाल युसुफ साहब के साथ हुई एक एक ज्यादतियों का हिसाब लेंगे।

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