महाराजगंजः कांग्रेस से कट सकता है सुप्रिया सिंह का टिकट वीरेन्द्र चौधरी हो सकते है नये उम्मीदवार

April 5, 2019 5:06 PM0 commentsViews: 1049
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नजीर मलिक

यूपी के महाराजगंज संसदीय सीट पर  कांग्रेस पार्टी अपनी घोषित प्रत्याशी प्रत्याशी को बदल सकती है। कांग्रेस पार्टी को यह यकीन हो गया है कि कांग्रेस की घोषित प्रत्याशी और पूर्व सांसद हर्षवर्धन सिंह की बेटी सुप्रिेया सिंह तो जीतेंगी नहीं, उलटे भाजपा की राह आसान हो लायेगी। इसलिए वह वीरेन्द्र चौधरी पर दाव लगाने का मन बना रही है। बीरेन्द्र चौधरी भी कुर्मी हैं, वह भाजपा सांसद और प्रत्याशी पंकज चौधरी के वोट बैंक में सेंध लगााने में सक्षम हैं।

 कट सकता है सुप्रिया सिंह का टिकट?

कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के पूर्व सांसद स्व. हर्षवर्धन सिंह की बेटी सुप्रिया सिंह को इसलिए टिकट दिया गया था कि वह सहानुभूति का लाभ लेकर भाजपा के पंकज चौधरी को कड़ी टक्कर देंगी। लेकिन बाद में राहुल प्रियंका टीम को जानकारी दी गई कि सुप्रिया दिल्ली में पत्रकारिता करती हैं। वह क्षेत्र से अपरिचित हैं, लिहाजा उनको लड़ाना आत्माघामी कदम होगा। हर्षवर्धन सिंह को दिवंगत हुए काफी दिन हुए, इसलिए सहानुभूति लहर नही बन सकेगी, जीतीय गणित भी उनके खिलाफ जाता है।

सुप्रिया को बदलने की बात क्यों चली?

सू़त्र बताते हैं कि टीम राहुल पियंका ने  इसको तत्काल संज्ञान में लिया। इसके बाद नये सिरे से रणनीति बनी और अंत में तय हुआ की सुप्रिया को बदलना ही ठीक होगा। फिर कई नामों पर चर्चा हुई और अंत में वीरेन्द्र चौधरी को दिल्ली बुलाया गया। कांग्रेस का मानना है कि कांग्रेस पाटी चुनाव में अच्छा करे। अगर पार्टी न जीत सके तो कम से कम भीजपा न जीत सके। यह उसकी रणनीति है। इसी के तहत वीरेन्द्र चौधरी को दिल्ली बुलाया गया।

 वीरेन्द्र ने की प्रियंका से मुलाकात

बताया जाता है कि गत तीन अप्रैल को बीरेन्द्र चौधरी ने प्रियंका गांधी से मुलाकात की।प्रियंका ने उनसे हालात की जानकरी ली। बीरेन्द्र चौधरी नेपाल बार्डा से सटी इस सीट से लड़ने को तैयार दिखे। अगर बीरेन्द्र चौधरी इस सीट से लड़ते हैं तो निश्चित तौर पर इसका नुकासान सजातीय होने के करण भालपा प्रत्याशी पंकज चौधरी को उठाना पड़ेगा।

कौन हैं वीरेन्द्र चौधरी?

कांग्रेस के नये संभावित उम्मीदवार जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं। वे महाराजगंज संसदीय क्षेत्र की फरेंदा (आनंदनगर) सीट से तीन चुनाव लड़ चुके हैं और तीनों ही बार कुछ वोटों से हारे हैं।  उनकी पहचान पूरे लिे में एक जुझारु नेता की है। ऐसे में अगर वो चुनाव लड़े तो हारें या जीतें मगर विरोधियों को कड़ी टक्कर देने में सक्षम हैं। यह उन्होंने तीन चुनावों में साबित भी किया है।

वीरेन्द्र ने कहा

इस बारे में कपिलवतु पोस्ट ने सुप्रिया सिंह को फोन किया मगर बात नहीं हो सकीए मगरविीरेन्द्र चौधरी ने फोल पर बताया कि उन्होंने तीन अप्रैल को प्रिसंका गांध से मिल कर स्थिति स्पष्ट कर दी है। अब यह पार्टी हाईकमान को फैसला करना है कि उसका फैसला क्या है, बाकी वि चुनाव लड़ने को तयार हैं। फैसला तो हाई कमान को ही करना है।

 

 

 

 

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