योगी की छोड़ी लोकसभा सीट पर संजय निषाद को साझा उम्मीददार बनाने की तैयारी

October 28, 2017 4:47 PM0 commentsViews: 1499
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— गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में “हाता” फैक्टर भी निभाएगा महत्वपूर्ण मुद्दा- आलोक त्रिपाठी

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। पड़ोसी जिले गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ की छोड़ी हुई लोकसभा सीट पर विपक्षी दलों की शक्ति रणनीति  के संकेत मिलने लगे हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी आदित्यनाथ अपनी परम्परागत सीट को किन्हीं भी हालात में हारना नहीं चाहेंगे, दूसरी ओर विपक्ष 1989 के बाद पहली बार सदर लोकसभा सीट पर  योगी खेमे को टक्कर देने का साहस संजोने के हालत में है। कारण यह कि इस बार यहासेयोगीउम्मीदवार नहीं होंगे।

गोरखपुर की राजनीति के जानकार  बताते हैं कि विपक्ष 1989 के लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार  इस सीट पर अपने को मजबूत समझ रहा है। इसकी कई वजहें भी हैं। प्रथम तो यह कि, इस बार योगी के प्रत्याशी न होने से जंग को सीधे मंदिर बनाम विपक्ष बना पाना कठिन होगा। विपक्ष का मानना है कि  केन्द्र सरकार की एंटी इंकमबेन्सी  और स्वंय योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद लोगों की अपेक्षाएं बढ़ी हैं, जो पूरी नहीं हो पा रही हैं।

इसका लाभ लेने के लिए गोरखपुर लोकसभा से योगी को निरंतर चुनौती देने वाली  सपा ने वहां से फिर निषाद जाति का उम्मीदवार उतारने का मन बनाया है।इस सीट पर निषाद बिरादरी के मत भारी तादाद में है। अतीत में एक बार स्वयं योगी भी यमुना निषाद से हारते हारते बचे थे। लेकिन इस समय सपा के पास रामभुआल को छोड़ा कोई औरनिषाद जाति का कद्दावर नेता नहीं है। रामभुआल  विधानसभा स्तर पर मजबूत नेता माने जाते हैं, मगर लोकसभा सीट के लिए वे कमजोर हैं।

सूत्रों की माने तो सपा ने इस बार एक नया निषाद चेहरा तलाश किया है। डा.संजय निषाद नाम के यह युवा, साफ सुथरी छवि वाले समाजसेवी हैं और “निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल” नामक संगठन बनाकर  कमजोर तबकों के बीच लगातार काम कर रहे हैं। गत विधानसभा चुनाव के दौरान डा.संजय निषाद गोरखपुर ग्रामीण सीट  से  लगभग 35 हजार मत बटोरकर अपनी ताकत दिखा चुके हैं।

जल्द सपा ज्वाइन करेंगे डा. संजय

बताया जाता है कि डा. संजय को चुनाव लड़ाने के लिए गोरखपुर के सपा का एक खेमा पार्टी आला कमान को राजी कर चुका है। सपा अध्यक्ष अख्रिलेश यादव लगभग इस पर सहमत भी हो चुके हैं। सूत्रों के अनुसार यदि सब कुछ ठीक रहा तो डा. संजय शीघ्र ही सपा ज्वाइन करेंगे और कांग्रेस इसका समर्थन करेगी। बसपा पहले ही उपचुनाव से किनारा कसने की बात कह चुकी है। इस प्रकार वह एक तरह से संयुक्त विपक्ष के  उम्मीदवार होंगे।

हाता फैक्टर भी उपचुनाव में काम करेगा

इस उपचुनाव में सपा को ब्राह्मण समाज के मतों पर भी काफी भरोसा है। सपा का मानना है कि  यहां से बसपा प्रत्याशी नहीं लड़ने पर ब्रहमणों का अधिकतर मत सपाकोही मिलेगा।  सपा का मानना है कि  बसपा बिधायक विनय शंकर तिवारी के पिता और पूर्वांचल के दिग्गज  ब्राहमण नेता पंडित हरिशंकर तिवारी के आवास “तिवारी हाता”  पर योगी राज में पड़े छापे से वहां का विप्र समाज बेहद आक्रोशित है। बसपा के युवा नेता आलोक त्रिपाठी कहते हैं कि योगी के उम्मीदवार को हराने के लिए यहां के ब्राहमण कुछ भी कर सकते हैं।यदि बसपा ने  उम्मीदवार नहीं उतारा तोहिमारेसमाज के मतदाता सपा के पक्ष में ही मतदान करेंगे।

बहरहाल गोरखपुर का उपचुनाव निकाय चुनावों के तत्काल बाद होने की संभावना है। बदले हात मेंसमाजवादी पार्टी के हौसले बहुत बुलंद है। वह इस बार इस सीट पर केवल टक्कर देने ही नहीं  बल्कि जीत की उम्मीद के साथ से ही उतरेगी। निकट भविष्य में देखना होगा कि भाजपा इसकी काट के लिए कौन सा अस्त्र आजमाने कीसोच रही है।

 

 

 

 

 

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