माओं की लोरियों से आती जहां हैं नीदें, आओ तुम्हें बता दें मेरा वतन यही है

February 24, 2016 4:30 PM0 commentsViews: 344
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नजीर मलिक

मुशायरे का आगाज करतीं समाजसेवी फैजिया आजाद और डायस पर बैठे कवि शायर

बतौर चीफ गेस्ट मुशायरे का उदृघाटन करतीं समाजसेवी फैजिया आजाद और डायस पर बैठे कवि शायर

सिद्धार्थनगर। लब न खुल पाये कोई बात न होने पायी, मुद्दतें गुजरीं मुलाकात न होने पायी।
खूबसूरत तरन्नुम के साथ जावेद सरवर कुशीनगरी ने बीती रात सदर तहसील कंपाउंड में इस गजल को पेश किया तो लोग झूम उठे। मौका था शहर की नई समाजिक संस्था के प्रथम आयोजन का। गंगा-जमुनी मुशायरे में गीतों और गजलों की बारिश में लोग देर रात तक नहाते रहे।
कार्यक्रम के शुरूआत में नौजवान शायर जुनैद बस्तवी ने… शाम होते ही ख्याले यार तड़पाने लगा, जैसी रोमांटिक गजल पढ़ कर माहौल को खुशनुमा बना दिया तो तो डा. नौशाद आजमी ने… मचाये शोर दरिया का नजारा हम भी देखेंगे, जैसी गजल पेश का मुशायरे का ऊंचाई बख्शी।
अपनी बारी में हमदम सीवानी कहां चूकते। उन्होंने भी… मैने जीता है उसको दुनियां से, इसलिए और भी सुहानी है, गजल पेश कर लोगों को गुदगुदाया तो शादाब शब्बीरी ने… ला पिला दे साकिया, जितनी भी है मैकदे में, पढ़ कर लोगों को सोचने पर मजबूर किया।

मकबूल शायर नियाज कपिलवस्तुवी ने… यही फिक्र मुझको दिन रात खाती है, जैसा कलाम पढ़ कर मुशायरे को नई उचाई बख्शी, तो कवि सम्मेलन मुशायरे के संचालक डा. जावेद कमाल ने… माओं की लोरियों से आती जहां हैं नींदे, मेरा वतन यही है मेरा चमन यही है, जैसा गीत पढ़ कर लोगों के देश प्रेम के जज्बे में इजाफा किया।

इसके अलावा प्रोग्राम में नजीर मलिक, डा. सुशील सागर, कायक्रम के अध्यक्ष पंकज शास्त्री, मोनीस फैजी, संतोष पांडेय वगैरह ने भी अपने कलाम पेश किये। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि फौजिया आजाद ने विशिष्ट अतिथि गुलामनबी आजाद व एमपी गोस्वामी के साथ दीप जला कर प्रोग्राम का शुभारंभ किया। इस मौके पर बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया जिन्हें फौजिया आजाद ने पुरस्कृत किया।

अंत में संस्था अध्यक्ष अनुराग त्रिपाठी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अपना उद्देश्य भी बताया। कार्यक्रम के आयोजन में संस्था सचिव धीरज गुप्ता, उपाध्यक्ष वामकेश दुबे, मीडिया प्रभारी अमित दुबे, उपसचिव नीतेश मिश्रा का योगदान रहा। इस मौके पर कांग्रेस नेता कैलाश पंछी, भाजपा नेता सिद्धार्थ गौतम, अब्दुल रहीम आदि की उपस्थिति काबिले गौर रही।

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