ब्राह्मण-कुर्मी वोटरों को छिटकने से रोकने के लिए भाजपा प्रत्याशी को बहाना होगा पसीना

April 29, 2024 12:20 PM0 commentsViews: 1178
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ब्राह्मण व कुर्मी वोटरों को रिझाने के लिए सपा व भाजपा उम्मीदवारों में होड़, आखिरी वक्त में वोटरों को चौंका सकते हैं चौधरी अमर सिंह

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज संसदीय सीट पर ब्राह्मण और कुर्मी  समाज भारतीय जनता पार्टी के परम्परागत समर्थक रहे हैं। परन्तु इस चुनाव में हालात कुछ ऐसे हैं कि डुमरियांज सीट पर भाजपा अपने इन दो बड़े समर्थक वर्ग को लेकर कुछ चिंतित है। इसलिए भाजपा प्रत्याशी जगदम्बिका पाल को इस मतदाता समूह को छिटकने से रोकने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी। ब्राह्मण वोटरों को लेकर सांसद पाल ने तो बाकायदा काम भी शुरू कर दिया है।

2014 और 2019 के चुनावों की अपेक्षा इस बार चुनावी बयार सामान्य है। पिछले दोनों चुनाव मोदी के हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के नारे ने सारे जातीय समीकरण ध्वस्त कर डाला था और पूरी हिंदी पट्टी की तरह डुमरियागंज सीट पर भी भाजपा के जगदम्बिका पाल आसानी से जीत गये थे। मगर हालात इस बार पूर्ववत नहीं हैं। 2024 में न तो हिंदुत्व और न ही पुलवामा जैसे राष्ट्रवादी नारे का जोर है, न ही जय श्रीराम के नारे लगाने वाली उत्साहित भीड़ ही दिखती है। इस बार के चुनाव में सांसद पाल के लगातार तीन कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड देखा जा रहा है। मंहगाई, बेरोजगारी पर सरकार से जवाब की अपेक्षा की जा रही है।लिहाजा चुनाव सामान्य हालात में होने के संकेत मिल रहे हैं।

ब्राह्मण समाज और सपा

गौरतलब है कि जब भी आम चुनाव सामान्य हालात में होते हैं तो राजनीतिक दलों को जातीय वोट बैंक ही उसके काम आता है। जातीय गणित के हिसाब से 11 प्रतिशत ब्राह्मण और 6 प्रतिशत कुर्मी बिरादरी का वोट पिछले तीस सालों से भाजपा के पक्ष में जम कर खड़ा दिखता रहा, परन्तु इस बार यह दोनों वोट बैंक उतनी ही मजबूती से खड़े रहेंगे इसमें संदेह है। क्योंकि समाजवादी पार्टी ने इस बार यहां से ब्राह्मण प्रत्याशी उतार कर सबकों चौका दिया है और यह प्रत्याशी कोई आम ब्राहृमण नहीं बल्कि पूर्वांचल के ब्राह्मणों के नेता के रूप में विख्यात पंडित हरिशंकर तिवारी के पुत्र कुशल तिवारी सामने आये हैं। उनकी प्रत्याशिता घोषित होते ही जिस प्रकार उनका समाज उनके पीछे लामबंद होने लगा है वह भाजपा के लिए चिंता की बात है। सपा प्रत्याशी कुशल तिवारी को लेकर ब्राह्मण समाज में उत्साह बढ़ता जा रहा है। यह उत्साह कहां तक कायम  रह पायेगा, यह देखने की बात होगी।

पाल की घेरेबंदी की कोशिश

इसके बरअक्स भाजपा प्रत्याशी जगदम्बिका पाल विभिन्न दलों के प्रमुख ब्राह्मण चेहरों को भाजपा में शामिल करा कर सपा प्रत्याशी को अपने तरीके से जवाब देने में लगे हैं। पिछले दिनों कांग्रेस नेता सच्चिदा पांडेय, बसपा नेता अशोक पांडेय आदि को भाजपा में शामिल कराने से सांसद पाल को कितना लाभ मिलेगा, यह भविष्य के गर्भ में हैं। फिलहाल तो भाजपा के पक्ष में दिखने वाले आम ब्राह्मण मतदाता का बड़ा समूह तो आज सपा प्रत्याशी के इर्द गिर्द सिमटता दिख रहा है। कल क्या होगा यह दोनों प्रत्याशियों की अपनी रणनीति पर निर्भर करेगा।

कुर्मी समाज कहां है?

जहां तक कुर्मी मतदाताओं का सवाल है, इस बार सपा कांग्रेस गठबंधन ने महाराजगंज, बस्ती, गोंडा आदि सीटों पर कुर्मी प्रत्याशी उतारा है। जबकि भाजपा ने केवल महाराजगंज में एकमात्र कुर्मी प्रत्याशी दिया है। स्वयं सिद्धार्थनगर से कुर्मी जाति के पूर्व विधायक अमर सिंह से सांसद पाल का छत्तीस का आंक़डा है। ऐसे में माना जाता है कि कर्मी समाज का एक तबका इस बार भाजपा के खिलाफ जा सकता है।

चलते-चलते

खबर है कि सोमवार और मंगलवार के बीच बसपा का टिकट बदल कर अमर सिंह चौधरी को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो भाजपा के लिए यह बुरी खबर साबित होगी। वैसे अभी तक इसकी अधिकृत सूचना नहीं है। मगर चौधरी अमर सिंह के खेमे में इसकी चर्चा बहुत विश्वास पूर्वक हो रही है। उनका कहना है कि शीघ्र ही इसका एलान होने वाला है।

 

 

 

 

 

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