पूर्व प्रधान का सरे आम गला काटने वाले चारों हत्यारों को उम्रकैद की सजा, क्या थम सकेगी पारंपरिक दुश्मनी?

October 8, 2020 1:14 PM0 commentsViews: 1721
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— मदनपुर गांव में चार वर्ष पूर्व हुई नृसंश हत्या से फैली थी काफी सनसनी, गुटीय दुश्मनी अभी भी कायम, पुलिस चौकसी जरूरी

नजीर मलिक

मदनपुर कि स्थान जहां चार साल पहले लालमोहर की हत्या की गई थी

सिद्धार्थनगर। चार साल पहले उसका थानाक्षेत्र के मदनुपर गांव में दिन दहाड़े हुई पूर्व प्रधान की गला काटकर हत्या मामले में कोर्ट ने चार लोगों को उम्रकैद की सजा सुना दी है। न्यायालय में केस विचाराधीन होने के दौरान चारों जेल में थे। उनके द्वारा काटी गई जेल भी उम्रकैद की सजा में जोडी जाएगी। मगर सवाल है कि अदालत द्वारा इतनी कड़ी सजा देने के बाद क्या मदनपुर गांव की यह पांरम्परिक दुश्मनी खत्म हो जाएगी।

मदनपुर गांव के पूर्व प्रधान लाल मोहर की गांव के ही कुछ लोगों से पुरानी रंजिश थी। 20 मई 2016 की भोर में वह गांव के बाहर सीवान में शौच के लिए गए थे, इसी बीच पहले से घात लगाकर बैठे गांव के ही सोमेश्वर उर्फ पताली, रमाकांत यादव, शुभकरन उर्फ सुधई और विजई गोसाई ने उन्हें दबोच कर धारदार हथियार से गला काटकर हत्या कर दी। हत्या के बाद उनके कटे सिर को कपड़े में लपेटकर दूर खेत में फेंक फरार हो गए थे।हत्या की इस घटना से पूरे क्षेत्र में सनसनी फैली थी।

मृतक के पुत्र मनोज रस्तोगी की शिकायत पर केस दर्ज कर पुलिस ने जांच कर घटना के एक सप्ताह के भीतर सोमेश्वर, रमाकांत, शुभकरन और विजई को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। तब से मामला न्यायालय में विचाराधीन था। शासकीय अधिवक्ता राजेश कुमार त्रिपाठी ने कोर्ट में पीड़ित का पक्ष रखा। गवाह और साक्ष्य के आधार पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (रेप एवं पॉक्सो एक्ट केसेस) संजय चौधरी ने मामले में फैसला सुनाया। उन्होंने चारो हत्यारों को आजीवन कारावास, 10-10 हजार रुपये आर्थिक दंड की सजा सुनाई है। पूर्व में आरोपितों के जेल में बिताई गई अवधि को भी सजा में समायोजित की जाएगी।

बता दें कि गांव के एक यादव व एक रस्तोगी परिवार में राजनीतिक वर्चस्व को लेकर वर्षां से दुश्मनी चली आ रही थी। हालत यह बन गई थी कि इसकी आग से आस पास के कई गांव प्रभावित थे और वे गुटों में बंट गये थे। दोनों गुटों में खूनी मुठभेड़ और मुकदमें बाजी आम थी। यही नही दर्जनों मुकदमें एक दूसरे पर आज भी दर्ज हैं। उनके परिवार व गुटीय लोग अभी भी गोलबंदी में लिप्त हैं। ऐसे में यह सवाल जायज है कि क्या हत्यारों को सजा मिलने से शत्रुता का अंत समझा जाए? जवाब में लोग कहते हैं कि अभी भी हालात तनाव से बरी नहीं हैं।  इसलिए पुलिस को और अधिक चौकस रहने की जरूरत है।

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