exclusive : जंग मे कागजी अफवाज (फौज) से क्या होता है, हिम्मतें लड़ती हैं तादाद से क्या होता है?

September 6, 2020 1:14 PM0 commentsViews: 867
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— लालजी की अध्यक्षता में सरकार विरोधी पहले प्रदर्शन में ही सपाइयों ने जमाया रंग

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। शनिवार को समाजवादी पार्टी सिद्धार्थनर के नये जिलाध्यक्ष व पूर्व विधायक लालजी यादव की अगुवाई में हुए सरकार विरोधी पहले प्रदर्शन में ही सपाइयों ने जिला मुख्यालय पर अपनी ताकत और जोश का जलवा बिखेर दिया। इस प्रदर्शन से यह साबित हुआ किसी जंग में सेना की संख्या नहीं बल्कि उसके सरदार की हिम्मत से सेना का मनोबल अचानक बढ़ जाता है और वह बड़ी से बड़ी जंग जीत लेती है। कल यानी शनिवार को कलेक्ट्रट परिसर में हुए प्रदर्शन में यही देखा गया

कल बिना किसी सूचना के अचानक हुए प्रदर्शन में सपाइयों का जोश देखने के काबिल था।  हालांकि उस समय पार्टी कर्यालय पर एक कार्यकर्ता की मौत पर शोक बैठक चल रही थी। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय की टीम उसी वर्कर के घर गई हुई थी। उग्रसेन सिंह भी वहीं रवाना हो चुके थे। सपा कार्यालय की शोक बैठक में लगभग 50 लोग ही मौजूद थे। तभी अचानक नये अध्यक्ष लालजी यादव के फोन की घंटी बजती है।

फोन पर उन्हे प्रदेश कार्यालय से बताया जाता है कि सपा पिछड़ा वर्ग के प्रदेश अध्यक्ष डा. रामपाल कश्यप को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसका तत्काल प्रतिरोध किया जाना है। समस्या विकट थी। सपा नेता तौलेश्वर निषाद के भाई के निधन के कारण तमाम प्रमुख नेता उनके घर पर संवेदना के लिए मौजूद थे। लिहाजा पार्टी कार्यालय पर कम ही लोग हाजिर थे। बहरहाल आनन फानन में फोन होने लगे और देखते देखते लगभग 500 लोग इकट्टे हो कर रवाना हुए या दूसरे शब्दों में कहें तो वह कलेक्ट्रेट पर भूखे शेर की तरह झपट पड़े।

कलक्ट्रेट में सपाइयों का जोश कुछ ऐसा था कि सपा के वरिष्ठ नेता व डुमरियागंज विधानसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्यासी चिनकू यादव, व जमील सिद्दीकी जैसे वरिष्ठ लोग भी भिंची मुठि्ठयों को लहराते हुए योगी सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष गरीब दास, विजय यादव, चन्द्रमणि यादव, विजय यादव, खुरशीद खान, नपा अध्यक्ष इद्रीश राइनी, पूर्व नपा अध्यक्ष चमनआरा, अम्बिकेश श्रीवास्तव, शुभांगी एडवोकेट, बाबूराम यादव आदि भी बडे आक्रामक तरीके से सरकार का विरोध कर रहे थे।

कुल मिला कर सपाइयों की इस तेजी व उत्साह से यह साबित हो गया है कि पूर्व अध्यक्ष के काल में सपा कार्यकर्ताओं का टूटा मनोबल लालजी यादव वापस लाने में सफल रहे। उनकी यह संघर्ष क्षमता कई बार जांची परखी जा चुकी है। किसी कवि ने सच ही कहा है कि—

जंग मे कागजी अफवाज से क्या होता है,
हिम्मतें लड़ती हैं तादाद से क्या होता है?
खून आखों से छलक जाएगा छत पड़ने तक,
अभी बुनियाद है बुनियाद से क्या होता है?

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