माधव बाबू के गांव का समग्र विकास कर दीजिए सरकार साहब! उदघाटन तो होता ही रहेगा

July 26, 2021 11:08 AM0 commentsViews: 789
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नजीर मलिक

वरिष्ठ नेता स्व. माधव प्रसाद त्रिपाठी का उजाड़ पड़ा घर

सिद्धार्थनगर, जिले में जनसंघ (भाजपा) के बड़े नेता रहे स्व.माधव प्रसाद त्रिपाठी के नाम पर बने नव निर्मित मेडिकल कालेज का उद्घाटन 30 जुलाई को स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करने वाले थे, मगर कार्यक्रम टल गया। अब वह शायद अक्तूबर में होगा।  बहरहरल उद्दघाटन चाहे जब हो, मगर दुखद बात यह है कि जिन बड़े नेता के नाम पर इतना बड़ा कार्यक्रम आयोजित होने वाला था, उनका गांव तिवारीपुर आज भी घोर उपेक्षा का शिकार है। हालत यह है कि उनके गांव तिवारीपुर में चार पहिया वाहन से जाने के लिए आज तक ढंग की सड़क तक नहीं है। उल्लेखनीय है कि यह वही गांव है जहां अक्सर अमर बलिदानी क्रान्तिवीर चन्द्रशेखर आजाद भी रुका करते थे।

तिवारीपुर गांव के निवासी व पूर्व सांसद स्व.माधव प्रसाद त्रिपाठी गांव के एक अति सम्पन्न परिवार में पैदा हुए थे। बाल्यकाल में उनके घर अक्सर अमर शहीद चन्द्रशेखर का आना होता था। अंग्रेज पुलिस से बचने के लिए वे चन्दू नाम से घर के पास बने उनके परिवारिक मंदिर में रुका करते। उस समय माधव बाबू छोटे थे। वे बड़े हुए तो देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत होकर स्वाधीनता संग्राम से जुड़ गये। देश की आजादी के बाद वे जनसंघ (भाजपा) में शामिल हुए और अटल जी के साथ जुड़ गये। 1970 के दशक में वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने। 1977 यानी जीवन के तीसरे चरण में वे सांसद चुने गये। 80 में पराजय के बाद वे सकिय राजनीति से दूर रहने लगे और 1984 में वे गोलोकवासी हो गये। जीवन में उन्होंने शादी नहीं की और संघ व भाजपा की सेवा में लगे रहे। उनकी ईमानदारी और त्याग की आज भी मिसाल दी जाती है।

बांसी तहसील मुख्यालय से चार से पांच किमी दूर तिवारीपुर गांव है। बांसी से तिवारीपुर तक एक पक्का मगर पतला सम्पर्क मार्ग जाता है जो गांव से पहले समाप्त हो जाता है। इसके बाद से गांव में पहुंचने के लिए धूल भरी कच्ची सड़क ही एक मात्र रास्ता है। गांव के शेखर तिवारी कहते हैं कि जिस आदमी ने पार्टी के तमाम त्याग और बलिदान किया उसके नाम पर मेडिकल कालेज तो बन सकता है मगर उनऐ गांव घर के लिए एक सड़क, एक सीनियर सेकेन्उ्री स्कूल नहीं बन सकता।गंगाधर भाई गुस्से में कहने लगते हैं कि इसी गांव में वह मंदिर है जहां महान बलिदानी चन्द्रशेखर आजाद जी रुका करते थे। उसका जीर्णोद्धार गांव वालो ने खुद के पैसे से कराया। स्वयं माधव बाबू का मकान ढहने के कगार पर है। इसके अलावा गांव में कई समस्यायें हैं जिन पर इन बड़े लोगों का ध्यान कभी नहीं गया न ही आज जा रहा है।

गांव के पूर्व प्रधान समेत अनेक लोग कहते हैं कि गांव की सड़क व यहां एक कालेज बनवा कर माधव बाबू को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती थी, न की ऐसे मेडिकल कालेज पर उनका नाम देने से, जो स्ववित्तपोषित हो। तिवारीपुर के ग्रामीण चाहते है कि गांव को आदर्श ग्राम घोषित कर यहां की सड़क सहित गलियों, नालियों आदि की दशा सुधार कर उस महान आत्मा को असली श्रद्धांजलि दी जाए, जिसने पूरे प्रदेश की विकास की चिंता में अपने गांव के विकास के लिए कभी मौका ही नहीं निकाला। क्योंकि वे मानते थे कि तिवारीपुर गांव उस समय के लिहाज से सम्पन्न गांव था, मगर जिले में बेहद विपन्न गांवों की तादाद हजारों में थी जिसका विकास तिवारीपुर से अधिक जरूरी था। गांव वाले कहते हैं कि सरकार पहले उनके गांव का तो विकास कर दे। उनके नाम से बने मेडिकल कालेज का उद्घाटन तो बाद में होता रहेगा।

 

 

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