मनीष शुक्ल तो मर गया, अब दारोगा को बचाने और हटाने को लेकर के पक्ष विपक्ष में बदली
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। बहुचर्चित मनीष शुक्ल हत्यकांड का खुलासा करने में विफल थानाध्यक्ष शमशेर बहादुर सिंह को हटाने के बाद इस मर्डर मिस्ट्री की लडाई की दिशा ही बदल गई है। मृतक मनीष के पक्ष के लोगों ने दारोगा को लाइन हाजिर करवाने में जहां सफलता पा ली है, वहीं एक पक्ष दारोगा को निर्दोष मान कर उसकी बहाली को लेकर आंदोलित हो गया है।
जानकारी के मुताबिक शोहरतगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता अभय सिंह कलहंस की अगुआई में एक प्रतिनिधिमंडल ने आज डीएम से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा तथा दारोगा शमशेर बहादुर सिंह को निर्दोष बताते हुए उनका निलम्बन रद करने की मांग की और कहा कि मनीष के हत्यारे पकड़े जायें, मगर राजनीतिक कर निर्दोष थानाध्यक्ष को सस्पेंड कराने के मामले की भी जांच हो और उन्हें फिर से शोहरतगड़ का एसओ बनाया जाय।
अभय ने कहा कि शमशेर बहादुर के थानाध्यक्ष् रहते हुए यहां की कानून व्यवस्था सुधरी थी। थानों में दलालों का प्रवेश बंद हो गया था। उन्हीं चोरों और दलालों ने मनीष की हत्या का सहारा लेकर थानाध्यक्ष के खिलाफ साजिश किया। उन्होंने कहा कि मामले की जांच जब थानाध्यक्ष के बजाये दूसरी एजेंसी कर रही थी तो थानाध्यक्ष के बजाये विफल एजेंसी का निलम्बित किया जाना था, लेकिन बलि का बकरा शसेर बहादुर का बनाया गया
ज्ञापन देने वालों में शामिल अनूप कसौधन महावीर वर्मा, रामसेवक गुप्ता, रिंकू वर्मा, टूटी नेता विक्की वर्मा, अल्ताफ नेता, मनोज गुप्ता अफसर अंसारी आदि का कहना है कि मनीष हत्याकांड में शामिल रहे लोगों को सजा दिलाने के बजाये कुछ खास लोग अपने फयदे के लिए दारोगा को हटाने का खेल खेल रहे र्हैं। यह राजनीति है।
याद रहे कि मंगलवार को मनीष शुक्ल की हत्या का खुलासा न होने पर कलक्ट्रेट पर धरना दिया गया था, उसके बाद शमशेर बहादुर को निलम्बित कर दिया गया था। हालांकि तब जांच पुलिस की दूसरी विंग कर रही था। बता दें कि गौरा बाजार निवासी मनीष शुक्ल शोहरतगढ में बीएससी का छा़ था। २९ जनवरी को वह अचानक हास्टल से गायब हो गया था। अगले दिन उसकी लाश बरामद हुई थी। इस घटना को लेकर तब से गौरा बाजार के लोग आंदोलित हैं।