कोरोना के साये में सजा बन गई मतगणना, न विजय जुलूस, न अबीर गुलाल, हर तरफ खौफ व हताशा

May 4, 2021 12:29 PM0 commentsViews: 400
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अजीत सिंह

सिद्धार्थनगर। इस बार मतगणना मजे के बजाए सजा बन गई। कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर में हुए पंचायत चुनाव में कई प्रत्याशियों और उनके परिजन को दोहरी चुनौती से जुझना पड़ा। चुनाव के दौरान प्रत्याशी या परिजन बीमार हुए तो उनकी जान बचाने की चिंता थी तो दूसरी ओर मतगणना टेबल पर जीत के लिए पैनी नजर भी गड़ानी थी। दो दिनों तक चली मतगणना में गणना एजेंटों को चाय पानी भोजन आदि की भी भारी असुविधा हुई।  हालत यह रही कि जीतने वाले प्रत्याशी और उनके समर्थक खुल कर अपनी खुशियों का इजहार तक न कर सके।

खबर के मुताबिक कोरोना संक्रमण के दौर में शरीर में कोई भी तकलीफ होने पर लोग तत्काल इलाज करवा रहे हैं। मतगणना के दौरान कई प्रत्याशी या उनके परिजन अस्पताल में भर्ती थे। मिसाल के तौर पर उसका बाजार क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य प्रत्याशी एवं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जनकनंदिनी चौरसिया के पति पूर्व ब्लॉक प्रमुख रामजीत चौरसिया की तबीयत बिगड़ गई। मतगणना के दौरान वे अस्पताल में थे।

इसी प्रकार डुमरियागंज विकास खण्ड के ग्राम पंचायत मिरवापुर से ग्राम प्रधान का चुनाव लड़े भूपेन्द्र सिंह ने काउंटिंग में जाने के लिए कोरोना की जांच कराई तो कोरोना पॉज़िटिव रिपोर्ट आ गई और वे होम आइसोलेट हो गए। मतगणना में भूपेन्द्र सिंह 123 वोटों से अपने निकटतम राम प्रसाद चौधरी को पराजित किया। उनके भाई बलवन्त सिंह को प्रमाण पत्र दिया गया।इस प्रकार की मिसालें पूरे मंउल सहित गोरखपुर, श्रावस्ती आदि मंडल के जिलों में भी पाई गई।

इस प्रकार के तमाम ऐसे मामले हैं जिन्होंने मतगणना में होने वाले परम्परागत उत्साह और जीत के बाद जलूसों के माध्यम से की जाने मस्ती के माहौल को समाप्त कर दिया। कोरोना का ऐसा खौफ की रहा कि इन  मतगणना स्थलों पर वो सब कुछ नहीं दिखा जो पूर्व में आम तौर से देखा जाता था। न जीत कर जुलूस के साथ सड़कों पर गुजरते उम्मीदवार दिखे, न हीं सुरक्षा की दृष्टि से इर्द गिर्द चल रही पुलिस। बस हर तरफ था मरघटी सन्नाटा और खौफ।

 

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