शेखुल हिंद मौलाना हसन ने दी आजादी की लड़ाई को धार-माता प्रसाद पांडेय
सगीर ए खाकसार
सिद्धार्थनगर। शैखुल हिन्द मौलाना महमुदुल हसन देवबंदी को अंग्रेजों ने तरह तरह की यातनाएं दीं लेकिन वो आज़ादी की लड़ाई हेतु आजीवन संघर्ष करते रहे।उन्होंने कहा कि रेशमी रुमाल तहरीक की शुरुआत 1916 में मौलाना साहब ने की थी। उन्होंने आजादी की लड़ाई को धार दिया जो भारत के स्वाधीनता संग्राम में मील का पत्थर साबित हुआ।
यह विचार पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने लि इटवा के अल फारूक स्कूल में “देश की आज़ादी व तरक़्क़ी में शैखुल हिन्द मौलाना महमुदुल हसन देवबंदी का योगदान ” गोष्ठी में कहा। गोष्ठी का आयोजन रफ्तार बेलफेयर सोइटी ने किया था। श्री पांडेय ने कहा कि मौलाना साहब की शिक्षाओं और संघर्षो से हम सबको सबक लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे जंगे आजादी के बड़े योद्धा थे, उनसे हमे प्रणना लेनी चाहिए।
बतौर विशिष्ट अतिथि नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन मोहम्मद जमील सिद्दीकी ने कहा कि मौलाना ने 1905 में ही योजना बना कर आज़ादी की लड़ाई शुरू कर दी थी।वो देवबंद के पहले छात्र थे बाद में प्रधानचार्य भी हुए।उन्होंने अपने साथियों और शिष्यों को जोड़कर आज़ादी की लड़ाई लड़ी।श्री सिद्दीकी ने कहा कि देश की आज़ादी में मुस्लिम उलेमाओं का अहम रोल रहा है। अंग्रेजों ने आज़ादी लड़ाई में शामिल हज़ारों उलेमाओं को फांसी पर लटका दिया था।
इस मौके परफी मेमोरियल इंटर कालेज के प्रधानाचार्य अहमद फरीद अब्बासी ने कहा कि वो एकता के सिद्धांत के पक्षधर थे।उनका जन्म 1851 में बरेली में एक इल्मी खानदान में हुआ था।उन्होंने 1878 में अंजुमन समरतुत तरतीब का गठन किया।1909 जमीयतुल अंसार की बुनियाद डाली।1916 में तहरीक ए रेशमी रुमाल के ज़रिए अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए।
पत्रकार सगीर ए खाकसार ने कहा कि मौलाना साहिब को जेल में आग की सलाखों से दागा जाता था।बहुत दर्दनाक यातनाएं दी जाती थीं।अंग्रेज़ उनसे कहते थे कि अंग्रेज़ी सरकार की हिमायत में फतवा दे दो ,तो तुम्हे हम आजाद कर देंगें।लेकिन वो अंग्रेजों के सामने नहीं झुके करीब तीन साल 19 दिन की काला पानी की सज़ा काटी।जब वो जेल से रिहा हुए तो गांधी जी ने उनका स्वागत किया।
कार्यक्रम के संयोजक इंजीनियर क़ाज़ी इमरान लतीफ ने आये हुए आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।गोष्ठी को जमील खान,जावेद हयात,मौलाना शब्बीर मदनी,तनवीर कासमी,नसीम जाहिद,इसरार फारूकी, डॉ प्रकाश श्रीवास्तव,आदि ने भी संबोधित किया।शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु मौलाना शब्बीर मदनी को सम्मनित भी किया गया।इस मौके पर क़ाज़ी फरीद, डॉ जमाल कुद्दुसी, साजिद मालिक,सुहेल वहीद,आदि की उपस्थित उल्लेखनीय रही।
बता दें कि काजी इमरान चलो चलें माजी की ओर कार्यक्रम के तहत लगातार ऐसे आयोजन कर भू बिसरे इतिहास को याद कराने का काम कर रहे हैं। अध्यक्षता मौलाना मोहम्मद आसिफ कासमी आज़मी ने तथा संचालन वरिष्ठ पत्रकार सगीर ए खाकसार ने किया।