इटवा का A.K.-47 कांडः सपना था काबिल पुलिसकर्मी बनने का, मगर, नौकरी मिलते ही पहुंच गया जेल

February 7, 2019 1:10 PM0 commentsViews: 3802
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— अपने खिलाफ हुई कार्रवाई से टूट गया युवा सिपाही विमल मिश्र-  रोते हुए बोला, आखिर मरा कसूर क्या था?

नजीर मलिक

नेट फोटो

“बाईस साल के युवा विमल ने एक सप्ताह पूर्व जब पुलिस की नौकरी ज्वाइन किया तो हरदोई जिले के ग्राम ग्राम बाबरपुर में उस दिन उसके घर पर खुशियों के दीप जले थे। विमल के सर से पिता का साया उठ चुका था। कंधों पर 7 बहनों की शादी का बोझ था। । गरीबी से जूझ कर पहले ही कमजोर हो चुकी बूढ़ी मां के इलाज का सवाल था।  ऐसे में विमल को सिपाही की नौकरी मिलना उनके लिए खुशियां लेकर लेकर आई थीं, लेकिन उसके परिवार के उम्मीदों को ग्रहण उस समय लग गया जब उन्हें पता चला विमल को पुलिस की नौकरी मिलने के पांचवें दिन ही  उसे को जेल जाना पड़ा गया। वह भी उस जुर्म में जब जिसे कारित करने की संभावना न के बराबर नजर आती है।”

सिपाही से नही मालखाना से गायब हुई रायफल?

हम बात कर रहे हैं पूर्वी उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर के  इटवा थाने में एके-47 राइफल गुम होने से जुड़े मामले के आरोपी बनाए गए सिपाही विमल किशोर मिश्र की। जो अभी हाल ही में पुलिस ट्रेनिंग के बाद इटवा थाने में 29 जनरी को तैनात हुआ था। उसकी तैनाती के पांचवें दिन यानी तीन फरवरी को इटवा थाने से एके-47  रायफल गायब होने के बाद पूरे जिले में हड़कंप मच गया। मामले की जब तहकीकात हुई तो पता चला की असलहा मालखाना से गायब हुआ है। आनन-फानन में एसपी ने तत्कालीन थानाध्यक्ष अनिल प्रकाश पांडेय सहित पांच पुलिस कर्मियों को लापरवाह मानते हुए निलंबित कर दिया। इसके बाद मंगलवार की देर शाम थानाध्यक्ष सहित पांचों पर केस दर्ज करके उन्हें सात थानों की पुलिस की निगरानी में जेल भेज दिया गया।

फफकते हुए विमल ने कहा कि अब उसकी मां और 5 बहनों का क्या होगा

जेल में बंद आरोपी सिपाही से जब मिलने की कोशिश की गई तो उसकी आंखों में आंसू थे। उसकी जुबान से बस यही निकला कि साहब मैं तो बेकसूर था। असलहा जमा कर दिया गया था। उसके बाद गुम हुआ होगा। हम बेकसूर हैं, हमसे हमारी मां और पांच बहनों की उम्मीदें जुड़ी हुई हैं। नौकरी मिलने के बाद उन्हें बहुत खुशी हुई थी कि अब अच्छे दिन आ जाएंगे। मगर हमारी उम्मीदों पर ग्रहण लग गया। यह कहते हुए सिपाही फफक पड़ा। वह कहता है कि हे ईश्वर अब उसकी बीमार मां और पांचों बहनों का क्या होगा?

बहत रहस्यमय है पूरा मामला

दरअसल इटवा थाने से एके 47 रायफल के गायब होने का मामला काफी रहस्यमय लग रहा है। ऊपर से पुलिस विभाग की चुप्पी इसे और रहस्यमय बना रही है। पुलिस मैनुअल के अनुसार थाने में जब किसी सिपाही के को असलहा आवंटित किया जाता है तो वह रवानगी अभिलेख में दर्ज होता है। जब वह असलहा वापस करता है तो आमद के समय असलहा भी अभिलेख में दर्ज हसे जाता है। इसके बाद उसके सुरक्षा की जिम्मेदारी शस्त्रगार के इंचार्ज  की बन जाती है।

जिम्मेदारी शस्त्रगार निरीक्षक की है?

सू़त्र बताते हैं कि गायब एके 47 अंतिम बार 3 फरवरी को आंवंटित हुई और उसी दिन उसकी आमद भी हुई है। इसके बाद उसकी हिफाजत की जिम्मेदारी मालखाना इंचार्ज की हो गई। तीन फरवरी को ही रात मे पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह द्धारा निरीक्षण के दौरान शस्त्रगार में असलहों की गिनती हुई तो वह राइफल कम पाई गई। ऐसी हालत में जिम्मेदारी मालखाना (शस्त्रगार) इंचार्ज की होती है। इसमें सिपाही का दोष नहीं न ही थानाध्यक्ष का।

चुप्पी से पैदा हो रहा भ्रम

हालांकि पुलिस विभाग में अनुशासन महत्वपूर्ण है, इसके मद्देनजर सिपाही व थानाध्यक्ष आदि का घटना के खुलासे तक सस्पेंड किया जाना तो न्याय संगत है लेकिन अनुशासन के नाम पर उन पर मुकदमा दर्ज करवा कर उन्हें जेल भेजना न्यय संगत प्रतीत नहीं होता। ऐसा क्यों हुआ, इस बारे में अफसर भी कुछ कहने से बच रहे है। इससे जनमानस में भ्रम बढ़ रहा है। यदि पुलिस विभाग उनकी गिरफ्तारी का तार्किक कारण भी स्पष्ट कर देता तो भ्रम की थिति से बचा जा सकता था।

एके-47 का पता बताओ, 25 हजार का इनाम पाओ

अभी तक अपराधियों का पता बताने वालों को पुलिस इनाम दिया करती थी पर इस बार इटवा थाने से गायब एके-47 का पता बताने वाले को 25 हजार रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की है। साथ ही नाम पता गुप्त रखने को भी कहा है

इटवा थाने के मालखाने से रविवार को गोलियों से भरी एके-47 गायब हो गई। एके-47 के  गायब होने की खबर लगते ही पुलिस महकमा सकते में आ गया। आलाअधिकारी भाग कर थाने पहुंचे। एसओ से लेकर पुलिस कर्मियों व चौकीदार से पूछताछ की पर कुछ भी हाथ नहीं लगा।

रायफल बरामदी के लिए चार टीमें गठित

एसपी डॉ.धर्मवीर सिंह ने असलहे की बरामदगी के लिए चार टीमें भी लगा दी हैं पर अब तक पता नहीं चला। 80 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ कोई सुराग न लगता देख एसपी ने गायब एके-47 का पता बताने या बरामद कराने वाले को 25 हजार रुपये का नगद पुरस्कार देने की घोषणा की है। साथ ही कहा है कि सूचना देने वाले का नाम, पता भी गुप्त रखा जाएगा।

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