मुंबई और दिल्ली से अब तक आ चुके हैं एक हजार से ज्यादा लोग स्थानीय प्रशासन को पता ही नहीं

March 24, 2020 11:51 AM0 commentsViews: 886
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निजाम अंसारी

शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। कोरोना की समस्या बढ़ने के बाद दिल्ली और मुंबई आदि महानगरों से अब तक हजारों कामकाजी ग्रामीण शोहरतगढ़ क्षेत्र में आ चुके है। परंतु स्थानीय प्रशासन को कोई चिंता नहीं है इसी लिए वह इन पलायित लोगों के बारे में कोई छान बीन नहीं कर रहा है। जिससे संबंधित गावों के लोग डरे हुए है।

इस बारे में थाना शोहरतगढ़ से संपर्क कर पूछा कि थानाक्षेत्र के अंतर्गत अब तक गाँव में दिल्ली और बम्बई से कितने लोग आ चुके हैं जिसका कोई जवाब नहीं मिला, वहीं इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के कर्मी को फ़ोन करके पूछा गया तो बी सी पी एम सुरेन्द्र श्रीवास्तव ने पत्रकार को तुरंत ही अपनी लोकेशन स्टेट बैंक के पास बुलाया सुरेंदर के हाथ में बाहर से आने वाले लोगों की लिस्ट थी जिनमें उनका नाम और मोबाइल नं. लिखा हुआ था।

उस समय यही कोई बारह लोगों की एक खेप को उन्होंने रेस्क्यू किया हुआ था उनके फ़ोन करने पर जांच करने वाली गाड़ी आई जिसमें से गफ्फार नाम का लड़का निकला जो वार्ड बॉय था उसने लोगों को मशीन से चेक किया जिसमें सेमरियांव के रहने वाले लोगों की संख्या ज्यादा थी उन्हें एम्बुलेंस में बैठाकर उनके गांव तक छोड़ने का आदेश स्वास्थ्यकर्मी सुरेंदर ने देकर अपनी लिस्ट को अपडेट करने लगे । जांच सही हुई है या नहीं इस पर सी एम ओ सीमा राय से बात करने पर पता चला कि यह जांच बाकायदा नहीं है वह इंफ्रारेड मशीन है जिससे बुखार नापा जाता है सामान्य तापमान होने पर उन्हें उनका नाम और मोबाइल न0 दर्ज करके उन्हें छोड़ दिया जाता है। उसके बाद उन पर 14 दिनों तक रखी जाएगी नजर।

शोहरतगढ़ तहसील अंतर्गत डॉ पी के वर्मा के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता और काम जमीनी स्तर पर देखने को मिला वहीं दूसरी ओर पुलिस विभाग की तरफ से कोरोना को लेकर कोई सहयोग नहीं दिखा बम्बई और दिल्ली से आने वाले लोग लगातार पैदल आते जाते रहे पुलिस उन्हें देखती रही । तहसील प्रशासन की तरफ से तहसीलदार ने गांव में घूम कर जागरूकता और बचाव के टिप्स बताये।

बताते चलें कि संकट के समय में जो तीन स्तरीय और चार स्तरीय घेरा और एक सेंट्रल कमांड से संचालन किया जाता है वह फ्लॉप रही। बहुत सारे लोग जो बम्बई और दिल्ली से आ चुके है उनकी संख्या हजारों में हैं, मगर उनकी रेस्क्यू का कोई ठोस उपाय नहीं किया जा रहा है।

 

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