नगरपालिका सिद्धार्थनगर में चुनावी धुंधलका साफ, मुस्लिम और वैश्य मत करेंगे हारजीत का फैसला

November 28, 2017 3:36 PM0 commentsViews: 949
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नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर।  स्थानीय नगर पालिका क्षेत्र में मतदान के लिए उलटी गिनती शुरू हो गई है। इसी के साथ  यहा का चुनावी परिदृश्य पर छाया धंुधलका भी साफ हो गया है। कल होने वाले मतदान में नगर के मुस्लिम और मतों का रुझान हार जीत के फैसले की इबारत लिखेगा।

इस बार नगरपालिका सिद्धार्थनगर में कुल 22829 पंजीकृत है। दनमें दो बड़े समूह वैश्य और मुस्लिम मतों का है। शहर में मुस्लिम मतदाता लगभग  7हजार हैं।  अनुमान है कि इस बार साढ़े तीन हजार के आस पास मुस्लिम वोट पोल होगें। फिलहाल खबर लिखने तक नगर का मुस्लिम मतदाता बुरी तरह बंटा हुआ है। इनके दो मुख्य दावेदार निर्दल उम्मीदवार फौजिया आजाद और सपा के संजय कसौधन हैं। इसके अलावा कांग्रेस के मनव्वर हुसैन उर्फ लड्डन, बसपा नेता और निर्दल उम्मीदवार फिरोज सिद्दीकी आदि भी है। बिखरे हुए मतों  का बहुमत  आज रात तक जो अपने पक्ष में मोड़ पाने में कामयब होगा, वह लाभ की  स्थिति में होगा।

लगभग 10 हजार की आबादी वाला वैश्य समाज में भी इस बार व्यापाक बिखराव है। संजय कसौधन  को समाजवादी पार्टी को उम्मीदवार बनाये जाने की वजह से बीजेपी का समर्थक रहा कसौधन वैश्य मतों का अधिकतर रुझान  संजय कसौधन के पक्ष में है तो जायसवाल मतों का बड़ा हिस्सा भाजपा उम्मीदवार श्याम बिहारी जायसवाल व उनके भाई व निर्दल उम्मीदवार घनश्याम जायसवाल के बीच विभाजित है। सुनार बिरादरी का अधिकांश वोट भासपा उम्मीदवार और तेज तर्रार नेता कन्हैया वर्मा के पक्ष में दिख रहा है। शहर में पिछड़ वर्ग का मतदाता यादव कुर्मी आदि कम है। अति पिछड़ा वर्ग वैचारिक प्रतिबद्धता से अधिक मैनेजमेंट के आधार पर वोट करता है। दलित वोट बसपा के साथ रहेगा ही।

कुल मिला कर स्थिति यह है कि फौजिया आजाद मुस्लिम मतों के एक हिस्से को लेकर प्रगतिशील हिंदू वोटों के आधार पर जीत का ताना बाना बुन रही है तो सपा नेता संजय कसौधन और मुस्लिम मतों का गठजोड़ बना कर विजय रथ को मंजिल पर पहुंचाने में लगे हैं।

इसी तरह भाजपा उम्मीदवार श्यामबिहारी का खेमा हिंदुत्व का कार्ड खेल कर सभी जमातों के हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण कराने की रणनीति पर अमल कर रहे हैं तो पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष घनश्याम जायसवाल व्यापारी और अति पिछड़े मतों को एकजुट कर विजयरेखा छूने की कोशिश में हैं।  लेकिन अगले 12 घंटे चुनावी मैनेजमेंट की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। जो इसमें भी कामयाब होगा, कामयाबी उसी के कदम चूमेगी।

 

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