डुमरियागंजः मुस्लिम वोटों का जबरदस्त बिखराव बना भाजपा की जीत का कारण

March 14, 2017 4:50 PM1 commentViews: 1287
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नजीर मलिक

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सिद्धार्थनगर। जिले में इस बार डुमरियागंज सीट पर मुस्लिम वोटों में जबरदस्त बिखराव हुआ, जिसकी वजह से फर्श पर खड़ी भाजपा अर्श पर पहुंच गई और राजनीति का मुस्लिम दुर्ग अपने मीरजाफरों की वहज से ढह गया। मलिक कमाल यूसुफ के समर्थन के बाद भी सैयदा की हार बहुत कुछ संदेश दे रही है।

74 हजार मुस्लिम वोट डाले गये

डुमरियागंज में जिले के सर्वाधिक 37 फीसदी मतदाता मुस्लिम हैं। इस बार चुनाव में इस क्षेत्र में कुल दो लाख एक हजर मत पड़े। इसमें मुस्लिम मतों की हिस्सेदारी तकरीबन चौहत्तर हजार थी। इस लिहाज से मुस्लिम वोट किसी गैर भाजपा प्रत्याशी की एक जुट पड़ते तो उसकी जीत सुनिश्चित हो जाती। इससे साफ है कि मुस्लिम मतों में जबरदस्त विभाजन हुआ।

सैयदा को ५० फीसदी मिले मुस्लिम वोट

इस चुनाव में मुस्लिम वोटों की बड़ी दावेदार बसपा की सैयदा मलिक समझाी जा रही थीं। उन्हें चुनाव में सिर्फ 67056 वोट ही मिले।इसमें से 17 फीसदी अनुसूचित वोट में से मायावती के शुद्ध 13 फीसदी जाटव वोट अर्थात 26 हजार वोट को ही निकाल दिया जाये तो सैयदा का शेष वोट 41 हजार बचता है। उसमें से लगभग 5 हजार वोट अन्य जाति का निकालने के बाद सैयदा के हिस्से में सिर्फ ३८ हजार वोट ही बचता है। जो कुल मुस्लिम वोटों का लगभग ५० प्रतिशत ही होता है।

36 हजार मुस्लिम चिनकू, अशोक के साथ रहे

जाहिर है कि मुसलमानों का 36 हजार मत सैयदा से हट कर सपा के चिनकू यादव व पीस पार्टी के अशोक सिंह को मिले। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में पड़े वोटों का यदि विश्लेषण किया जाये तो चिनकू यादव को मिले 52222 वोटों में यादव और छिटपुट अति पिछड़े वोटों को निकालने के बाद उनके हिस्से में मुसलमानों के तकरीबन 30 हजार और पीस पार्टी के खाते में 8 हजार वोट जाते प्रतीत होते हैं।

जाहिर है कि डुमरियागंज में मुस्लिम मतों का जम कर बिखराव हुआ और भाजपा के पक्ष में हुए ध्रुवीकरण ने भाजपा की जीत तय कर दी। यह चुनाव परिणाम डुमरियागंज में मुस्लिम सियासत का किला ढहने का संकेत हैं। अगर वोटों के विभाजन को मीरजाफर आगे भी बनाने में कामयाब हुए तो फिर इस किले का जमींदोज होना तय है।

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