भाजपा नेता व पूर्व नपा अध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा लिखा कर ईओ ने स्वयं का बचाया

April 27, 2017 3:09 PM0 commentsViews: 551
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नजीर मलिक

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सिद्धार्थनगर। जिला हेडक्वार्टर की नगर पालिका से एक महत्वपूर्ण फाइल के गायब होने की जिम्मेदारी नगरपालिका की तत्कालीन अध्यक्ष व भाजापा नेता श्रीमती राधिका जायसवाल पर डालते हुए अधिशासी अधिकारी राजीव रंजन ने सिद्धार्थनगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। इस मामले यहां सियासी हलचल मच गई है। ईओ राजीव रंजन पर भी लोग अंगुलियां उठा रहे हैं।

यहां थाने में दर्ज करायी रिपोर्ट में बताया गया है कि अध्यक्ष श्रीमती राधिका जायसवाल ने फइल गायब करवा कर धोखधड़ी किया है। इस प्रकरण में रिटायर्ड हो चुके एक लिपिक और मौजूदा लिपिक संतोष के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराया गया है। इसी आधार पर पुलिस ने भी उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। दरअसल आरटीआई के एक सवाल के बाद फाइल गायब होने का खुलासा हुआ है। जबकि पूर्व अध्यक्ष ने इस मामले से अपना कोई लेना देना नहीं बताया है।

क्या है मामला?

दरअसल वर्ष २०११–१२ में नगर पालिका ने वाहनअड्डों की नीलामी कराई थी। यह फाइल उसी से सम्बंधित थी। इसमें तमाम घपले की शिकायतें थीं। इसी को लेकर सुरेन्इॽउ्र अग्रहरि ने आरटीआई डाली थी। आरोप है कि इस फाइल के सामने आने पर ७५ लाखा का घपला प्रकाश में आ सकता है। इसलिए यह मामला अब काफी तूल पकड़ रहा है।

फाइल की सुरक्षा का जिम्मेदार कौन?

दरअसल सरकारी फाइलों की जिम्मेदारी के नियम होते हैं। इस लिहाज से फाइल की सुरक्षा की जिम्मेदारी तो कार्यालय के वरिष्ठ अफसर और सम्बंधित लिपिक की होती है। आम तौर पर विभागाध्यक्ष उसका रख्र रखाव खुद नहीं करते। स्वायत्त्शासी विभागों में तो विभागाध्यक्ष की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। फिर इस मामले में अध्यक्ष श्रीमती राधिका जायसवाल पर जिम्मेदारी कैसे डाली जा सकती है?

अध्यक्ष कैसे दोषी

बहरहाल यदि मान भी लिया जाये कि अध्यक्ष राधिका देवी ने अवलोकन करने के लिए उस फाइल को अपने पास मंगाया और उसे गायब करवा दिया तो अधिशासी अधिकारी और सम्बंधित लिपिक ने उनसे वह फाइल मांगी क्यों नहीं। इस सम्बंध में उनसे लिखित में वार्ता क्यों नहीं किया? उनके कार्यकाल के बाद वर्तमान कार्यकाल भी बीत रहा है, इस दौरान अधिशासी अधिकारी यानी ईओ क्यों खामोश बैठे रहे। इन्हें ५ सालों बाद इस फाइल की याद क्यों आई?

शक की सूई ईओ पर

खबर है कि एक आरटीआई सवाल के जवाब में ईओ ने कहा है कि शिकायतकर्ता कार्यालय में आकर पत्रावली की छाया प्रति ले सकते हैं। सवाल है कि जब उनके पास  फाइल थी ही नहीं तो उन्होंने छाया प्रति देना की बात किस अधिकार पर दी। जाहिर है कि मामला उतना सीधा नहीं, जितना ईओ बता रहे हैं। इस  मामले में वह स्वयं भी आरोपी बनाये जाने योग्य हैं। ऐसे में पुलिस अगर ढंग से तफ्तीश करेगी तो चौंकाने वाले तथ्य आयेंगे।

 

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