नहीं मुक्त हो रहा बेवा चौराहे का बेवापन, पांचवें बच्चे की भी पहुंची लाश, फिर हुआ मातमी माहौल

June 30, 2017 2:46 PM0 commentsViews: 528
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— आगरा के निकट हुई थी कार दुर्घटना, नौ लोग थे सवार, चार अभी भी अस्पताल में, दो की हालत नाजुक

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। आगरा के पास हुई दुर्टटना में मारे गये बेवा चौराहा (डुमरियागंज) के चार युवाओं के अंतिम संस्कार के 24 घंटे भी नहीं बीते थे की दुर्घटना में घायल पांचवें नौजवान 21 साल के सुहेल ने भी दम तोड़ दिया। उबेवा के बगल टड़वा का रहने वाल है। बताते हैं कि बाकी बचे चार घायलों में दोकी हालत नाजुक है। उनके लिए दुआ और प्रार्थनाओं का दौर जारी है।

सन्नाटे डूबा पुलिस बूथ, दो दिन पूर्व यहां जाम लगा करता था।

सुहेल की मौत के बाद डुमरियागंज क्षेत्र का मौहौल और भी गमगीन हो गया है। बेवा चौराहा का बेवापन अभी भी साफ झलकता है। खामोशी भरे सन्नाटे बीच राहुल, प्रिंस, सौरभ और श्यामू और सुहेल के घरों से निकलने वाली घुटी घुटी सिसकियां आज बेवा चौराहे का कलेजा छीलती प्रतीत होती हैं। बाकी चार घायलों के घरों में भी कोहराम मचा हुआ है।

बेवा चौराहे पर बेवापन का एहसास करती बंद दुकाने

यमुना आगरा एक्सप्रेस वे पर सड़क हादसे मे बेवा चौराहे के राहुल, प्रिंस, सौरभ व श्यामू की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई थी। सुहेल की मौत कल हुई। सुहेल को छोड चारों का शव पीएम के बाद कल बेवा चौराहे पर पहुंचा। जबकि सुहेल की लाश आज आई हुई है, जिसे सिपुर्दे खाक करने की तैयारी हो रही है। चार बच्चे अभी भी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं।

चारों नौजवानों का शव पहुंचते ही पूरे चौराहे पर सदमा छा गया था। वह सदमा सुहेल की लाश आने के बाद और बढ़ गया है। इसलिए कि मरने वाले पांचों बच्चे अभी कच्ची उम्र के थे। उनको लेकर उनके परिजनों ने काफी बड़े अरमान संजो रखे थे। मगर अरमानों की कली खिलने से पहले ही मुरझा गई।

कल चारों की अंत्येष्टि के दौरान क्षेत्रीय सांसद जगदंबिका पाल, डुमरियागंज विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह, पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि मधुसूदन अग्रहरि, हियुवा नेता राहुल प्रताप सिंह, श्याम सुंदर अग्रहरी, लवकुश ओझा, लाल जी शुक्ला, कमलेन्द्र त्रिपाठी त्रिपाठी, जिला पंचायत अध्यक्ष गरीबदास, सपा के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी रामकुमार उर्फ चिंकू यादव, बसपा नेता इरफान मलिक, जहीर मलिक, फैजान अहमद, समाज सेवी डा राजेश गुप्ता, डा मोहम्मद वासिफ, काजी नियाज अहमद, दिलीप पाण्डेय उर्फ छोटे, अहमद फरीद अब्बासी आदि लोग मौजूद रहे और सभी की आंखें नम रहीं।

यह जिले का दूसरा सबसे बड़ा वाकया है। तीन साल पहले तीर्थ यात्रा पे निकले शोहरतगढ़ कस्बे के सात व्यापारी पुत्रों की लाशें भी इसी प्रकार आयी थीं और उनके दाह संस्कार के बाद भी कई दिनों तक शोहरतगढ़ की शोहरत विलाप करती देखी गई थीं। कल बेवा चौराहे पर भी उसी इतिहास की पुनरावृत्ति हुई। बेवा अभी बहुत दिनों तक बेवापन का दंश झेलेगा।

डुमरियागंज निवासी पूर्व मंत्री कमाल युसुफ कहते है कि उन्होंने बहुत हादसे देखे हैं। लेकिन 20-22 साल के पांच बच्चों की एक साथ हुई मौत ने उन्हें ही नहीं पूरे डुमरियागंज को हिला कर रख दिया है। संसद जगदम्बिका पाल कहते हैं, दुख की इस घड़ी में निशब्द हूं। पीड़ा व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं फूट रहे।

 

 

 

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