दर्दनाकः तीन बेटों के बावजूद मुखाग्नि को तरसती रही गई बूढ़ी मां की चिता

May 13, 2023 1:41 PM0 commentsViews: 525
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बड़े बेटे का कत्ल, छोटा बेटा कत्ल के आरोप में गिरफ्तार, मझले

बेटे ने कर लिया धर्म परिवर्तन, पति की पहले हो चुकी है मौत

नजीर मलिक

कुदरत भी कभी कभी किसी किसी के साथ कितना क्रूर मजाक कर देती है। इसका ताजा नमूना  85 वर्षीया बुजुर्ग रमापति देवी की मृत्यु है। रमापति देवी के पति की अधेड़ अवस्था में  ही मौत हो गई थी। इसके बाद तीन बेटों में से मझले भाई दुर्गा प्रसाद ने धर्म परिवर्तन कर मां की ममता पर हथौड़ा चलाया और गत 6 मई को छोटे बेटे फूलचंद ने अपने बड़े भाई ब्रह्मानंद की हत्या कर दीअ पने दो बेटों के साथ फूलचंद जेल चला गया। यह सदमा इतना बड़ा थाकि कत्ल के सातवें दिन अपने तीनों बेटों का नाम रटते हुए वृद्धा रमापति देवी ने भी शुक्रवार को दम तोड़ दिया।  इस घटना के बाद गांव वाले कहते हैंकि ईश्वर कुछ करे लेकिन रमापति देवी जैसा खोंटा नसीब किसी को न दे।

क्या है पूरी कहानी

खेसरहा थाना क्षेत्र के दनियापार गांव में जमीन के विवाद में छोटे बेटे द्वारा बड़े की हत्या के छह दिन बाद मां रामपति की शुक्रवार को मौत हो गई। परिवार के लोगों का कहना है कि पति की मौत के बाद रमापति देवी वैसे ही टूटी हुई थी, इसी बीच  बड़े बेटे की हत्या और हत्या के आरोप में छोटे बेटे के जेल जाने के बाद रामपति देवी अत्यंत सदमे में थीं। बार-बार दोनों बेटों का ही नाम ले रहीं थीं।

शुक्रवार शाम वृद्धा रमापति देवी ने दम तोड़ा। और पूर्वान्ह में उनका अंतिम संस्कार हो गया। बड़े बेटे की मौत हो गई, छोटा बेटा जेल में हैं। वहीं, मझला बेटा एक अन्य धर्म की पूजा करता है, इसलिए वह मुखाग्नि नहीं दे सका। ऐसे में पोते ने दादी की चिता को आग दी। एक सप्ताह के भीतर हुई दूसरी मौत ने गांव के लोगों का हिला कर रख दिया है।

6 मई को हुआ था बेटे का कत्ल

क्षेत्र के दनियापार गांव में छह मई की रात जमीन के विवाद में गांव निवासी ब्रह्मानंद के छोटे भाई फूलचंद ने हमला करके उनकी हत्या कर दी थी। पुलिस ने हत्या का केस दर्ज करके फूलचंद, उसके दो बेटों और घटना में शामिल एक अन्य आरोपी को जेल भेज दिया था। 85 साल  की रामपति देवी बड़े पुत्र ब्रह्मानंद की मौत और फूलचंद और दो पौत्रों के जेल जाने के बाद काफी सदमे में थीं। घटना के बाद से रामपति हमेशा दोनों बेटों का ही नाम ले रहीं थीं। खाना-पानी बहुत ही कम कर दिया था। परिवार के लोग समझाते रहे, लेकिन वह बार-बार दोनों बेटों को ही याद कर रही थीं। हमेशा यही कह रही थीं कि किस तरह दोनों बड़े हुए, खुशी से रहते थे। लेकिन हमें नहीं पता था कि एक दिन एक बेटा दूसरे की जान ले लेगा।

अन्ततः शुक्रवार की शाम दोनों बेटों के गम में मां ने दम तोड़ दिया। एक तो पहले ही चला गया तो दूसरा जेल में है और तीसरे बेटे ने मुखाग्नि देने से इसलिए इन्कार कर दिया क्योंकि वह धर्म परिवर्तन करने के बाद हिंदू धर्म से इतर एक अलग धर्म की इबादत करता है। ऐसे में मृतक ब्रह्मानंद के पुत्र जगदीश ने दादी की चिता को आग लगाई।  बस केवल एक पौत्र जगदीश था। उसी ने चिता को मुखागिन दी।

दोनों भाइयों के झगड़े से बहुत आहत हूं

मृतक रामपति के मझले पुत्र और  धर्म परिवर्तित दुर्गा प्रसाद ने बताया- करीब 20 साल मैंने विदेश में बिता दिया। बड़े भाई से सदैव पिता का प्यार मिला। मैं घर से एक किलोमीटर दूर चौराहे पर मकान बनाकर रहता था। मां को बड़े भाई के साथ रहने में कोई तकलीफ नहीं थी। वह हमेशा बड़े भाई के साथ खुश रहती थीं। दोनों भाइयों के बीच झगड़े से मैं भी बहुत आहत हूं। मुझे अफसोस है कि मै अपनी मां की चिता को अग्नि न दे सका।

 

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